India News (इंडिया न्यूज), Indian Player Forced to Sell Momo: क्रिकेट को छोड़ भारत में बाकी खेलों और उसके खिलाडियों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है इसका एक और उदाहरण सामने आया है। हिमाचल प्रदेश की राष्ट्रीय स्तर की बास्केटबॉल खिलाड़ी इंद्रा को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। वह 6 बार राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं, लेकिन अब उन्हें सिरमौर जिले में फास्ट-फूड की दुकान से अपना गुजारा करना पड़ रहा है। नौकरी न मिलने की वजह से अब वह मोमोज और चाउमीन बेचने को मजबूर हैं। इंद्रा ने महज 11 साल की उम्र में राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया था। इसके बाद वह नियमित रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में टूर्नामेंट में खेलती रहीं।

सिस्टम ने बुरी तरह किया इग्नोर

न्यूज़18 के मुताबिक इंद्रा का कहना है कि उनके ज्यादातर साथी सरकारी नौकरी पाकर घर बसा चुके हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। हारकर उन्होंने हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में एक फास्ट-फूड की दुकान खोली है, जिसे वह अपने पति के साथ मिलकर चला रही हैं।

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भारत सरकार से अपील

इंद्रा ने भारत सरकार से अपील की है कि राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। उनका कहना है कि नौकरी मिलने से अन्य खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है, लेकिन सहयोग के अभाव में उन्हें संघर्ष और गरीबी का जीवन जीना पड़ता है। इंद्रा का कहना है कि सरकार द्वारा नौकरी दिए जाने से एथलीट अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणास्रोत बन सकेंगे।

ऐसा ही एक मामला साल 2020 में भी सामने आया था, जब एथलीट गीता कुमारी को जीवनयापन के लिए सब्जी बेचने पर मजबूर होना पड़ा था। उस समय झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गीता कुमारी को 50 हजार रुपये की मदद और 3 हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया था।

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