India News (इंडिया न्यूज), India at Paralympics vs Olympics: पेरिस पैरालंपिक में भारत के खिलाड़ियों का बेहतर प्रदर्शन जारी है। अबतक ये 27 मेडल जीत चुके हैं। ऐसा करके इन्होंने टोक्यो पैरालंपिक-2020 के 19 पदकों के आंकड़े को पीछे छोड़ दिया है। पेरिस पैरालंपिक में पदकों की यह संख्या इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि लंदन पैरालंपिक (2012) में भारत के खाते में सिर्फ एक पदक आया था, जिसके बाद रियो पैरालंपिक-2016 में सिर्फ 4 पदक ही आए। वहीं अगर ओलंपिक की बात करें, तो भारत इस महान खेल आयोजन के किसी भी एक सीजन में कभी भी 7 पदकों (टोक्यो-2020) से आगे नहीं जा पाया है, जबकि इस बार पेरिस पैरालिंपिक में पदकों की बरसात हो रही है। पैरालंपिक शारीरिक, बौद्धिक या दृष्टिबाधित एथलीटों के लिए एक प्रतियोगिता है।
पैरालंपिक में पदकों में तेज उछाल का बड़ा कारण ये बताया जा रहा है कि, इसमें भाग लेने वाले खिलाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पिछले कुछ पैरालंपिक की बात करें, तो रियो में भारत के 19 खिलाड़ियों ने भाग लिया था और 2 स्वर्ण पदक सहित 4 पदक जीते थे। इसके बाद टोक्यो पैरालंपिक में भारत के 54 पैरा एथलीट खेले थे। इसमें भारत ने 5 स्वर्ण पदक समेत 19 पदक जीतने में सफलता हासिल की थी। अभी वर्तमान में चल रहे पेरिस पैरालिंपिक में एथलीटों की संख्या 84 है। ये तो जगजाहिर है कि खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने के साथ ही पदकों की संख्या भी बढ़ती है। भारत ने 6 सितंबर तक 6 स्वर्ण पदक समेत अब तक 27 पदक जीते हैं।
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पैरालंपिक में लगातार बढ़ रही पदकों की संख्या को देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। कि ओलंपिक के मुकाबले पैरालंपिक में भारत के खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में आज हम इस पर चर्चा करेंगे कि पैरालंपिक में पदकों की संख्या बढ़ने के पीछे पांच कारण क्या हैं। इसमें पहला रीजन ये हैं कि पैरा-स्पोर्ट्स पर अधिक ध्यान और निवेश किया जा रहा है। इसकी दूसरी वजह ये हैं कि, ओलंपिक की तुलना में पैरालंपिक में भाग लेने वाले बड़े खिलाड़ियों का समूह बहुत छोटा है। खास तौर पर उन स्पर्धाओं में जिनमें भारत का दबदबा है, जैसे पैरा-एथलेटिक्स। इसके अलावा अगर हम इसकी तीसरी वजहों की बात करें तो पैरालंपिक वर्गीकरण प्रणाली का उद्देश्य समान स्तर की क्षमता वाले एथलीटों को एक समूह में लाकर निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करना है।
वहीं इसकी चौथी वजह ये है कि कई भारतीय पैरालंपिक एथलीटों ने अपने खेल के शीर्ष पर पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को पार किया है। पैरालंपिक में खिलाड़ियों की सफलता की पांचवीं और आखरी वजह ये है कि, भारत के पैरालंपिक कार्यक्रम को खेल चिकित्सा, प्रशिक्षण तकनीकों और अनुभवी कोचिंग में बढ़ते निवेश से लाभ मिला है। जिससे पैरा-एथलीटों को अपनी क्षमता को बढ़ाने में बहुत अधिक मदद मिली है।
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