मुंबई। yo-yo test: BCCI ने खिलाड़ियों की फिटनेस को अनिवार्य करते हुए यो-यो टेस्ट को पुन: वापस लाने का फैसला लिया है। बता दें कि खिलाड़ियों को पहले भी टीम में शामिल होने के लिए इस टेस्ट से गुजरना पड़ता था, लेकिन बीसीसीआई ने कोरोना के बाद इसमें थोड़ी ढ़ील दे दी थी। अब दोबारा से इसे टीम में स्थान पाने वाले खिलाड़ियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
क्या है यो-यो टेस्ट?
आसान भाषा में समझें तो खिलाड़ियों की फिटनेस की जांच के लिए यो-यो टेस्ट किया जाता है। यह एक टेक्नोलॉजी आधारित टेस्ट है जो एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से किया जाता है। भारत में यो-यो टेस्ट नेशनल क्रिकेट एकेडमी बेंगलुरू में लिया जाता है। यहां इस टेस्ट का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल है। खिलाड़ियों को कई बड़े मैच से पहले यो-यो टेस्ट क्लियर करना होता है। इसके बाद ही टीम में एंट्री मिलती है। इसका दूसरा नाम बीप टेस्ट या पेसर टेस्ट भी है।
कैसे किया जाता है यो-यो टेस्ट?
यो-यो टेस्ट में यूं तो 23 लेवल होते हैं लेकिन खिलाड़ियों के टेस्ट की शरुआत 5वें लेवल से होती है। हर खिलाड़ी को 20-20 यानी 40 मीटर की दूरी एक तय समय में पूरी करनी होती है। जैसे-जैसे लेवल बढ़ता है यह समय कम होता जाता है। इसी के आधार पर स्कोर तय किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस दौरान खिलाड़ियों को 8:30 मिनट में 2 किलोमीटर की दूरी को तय करना होता है। इस टेस्ट को पास करने के लिए बीसीसीआई के द्वारा एक तय स्कोर रखा गया है।
कहां कितना स्कोर है जरूरी?
भारतीय क्रिकेट टीम के लिए यो-यो टेस्ट पास करने का पासिंग स्कोर 16.1 रखा गया है।ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड की टीमों के लिए यह स्कोर 19 होना चाहिए। वहीं, श्रीलंका-पाकिस्तान के लिए 17.4 और साउथ अफ्रीकी खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्ट का स्कोर 18.5 होना जरूरी है।