अतुल वासन
आम तौर पर देखा गया है कि भारत में चयन समिति नाम के लिए होती है। चलती उसी की है जो अच्छे रिजल्ट देता है। विराट कोहली और रवि शास्त्री ने टीम इंडिया के लिए काफी अच्छे रिजल्ट दिए हैं और यह टीम भी वास्तव में उन्होंने ही चुनी है। हालांकि मैं मानता हूं कि टीम में उनके पसंदीदा कई खिलाड़ी नहीं हैं। अपने पसंदीदा खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखाना उनकी दिलेरी को ही दिखाता है। भारत में कोई टीम मैनेजमेंट से भिड़ता है। या काफी मैच खेल चुके कप्तान से भिड़ता है तो उसका भी अनिल कुम्बले जैसा हश्र होता है। जाहिर है कि आज के दौर में जो शास्त्री और विराट चाहेंगे, टीम सेलेक्शन में वही होगा। चयनकर्ता भी जानते हैं कि अगर हारे तो गाज उन पर नहीं गिरेगी। आज विराट कोहली जितने मैच खेले हैं, उतने तो पूरी सेलेक्शन कमिटी मिलकर भी नहीं खेल पाई है। टी-20 वर्ल्ड कप के लिए चुनी गई टीम इंडिया काफी बैलेंस है। जो खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन करते रहे या फिर व्हाइट बॉल क्रिकेट में जो लम्बे समय से खेल रहे हैं, उन्हें दरकिनार करना समझ से परे लगता है। यजुवेंद्र चहल कभी टी-20 के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माने जाते थे। इसी तरह दीपक चाहर लगातार टी-20 क्रिकेट खेलते रहे, उनका प्रदर्शन भी इस फॉर्मेट में अच्छा रहा है। शायद चयनकतार्ओं ने ऐसा सोच लिया है कि भुवनेश्वर और दीपक चाहर एक ही तरह के गेंदबाज हैं जबकि मेरी राय में दोनों की गेंदबाजी में काफी फर्क है। वैसे दस अक्टूबर तक अपनी टीम में आप बदलाव कर सकते हैं। मुझे लगता है कि भारतीय टीम में भी कुछेक बदलाव की जरूरत है। वैसे भी वर्ल्ड कप से पहले आईपीएल होना है और वहां कई खिलाड़ी इंजर्ड भी हो सकते हैं। कुछ नये टैलंट भी दिखाई दे सकते हैं। टीम में अगर ओपनर के तौर पर केएल राहुल को लिया गया है तो इससे जाहिर होता है कि विराट कोहली ओपनिंग नहीं करेंगे। वैसे मुम्बई इंडियंस की ओर से ईशान किशन भी ओपनिंग करते रहे हैं। रविचंद्रन अश्विन का टीम में आना समझ में आता है क्योंकि आज काफी टीमों में पारी की शुरूआत करने वाले बल्लेबाज बाएं हाथ के हैं। ऐसी स्थिति में अश्विन का पॉवरप्ले में गेंदबाजी करना भारत के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। कुल मिलाकर टीम बैलेंस है।

(लेखक भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज होने के अलावा अब क्रिकेट समीक्षक हैं)