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वीरेंद्र सहवाग से सीखा क्रिकेट, किराए पर पिस्टल लेकर खेली नेशनल टीम…, जानें कैसा रहा Manu Bhaker का ओलंपिक में मेडल जीतने तक का सफर

India News (इंडिया न्यूज़), Manu Bhaker Struggle Story: पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर मनु भाकर आज विश्व निशानेबाजी में एक बड़ा नाम बनकर उभरी हैं। भारत की मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने 10 मीटर एयर पिस्टल महिला एकल में कांस्य पदक जीता। इसके साथ ही मनु भाकर निशानेबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बन गई हैं। आइए जानते हैं मनु भाकर के कांस्य पदक जीतने तक की कहानी

किराए की पिस्टल से खेला नेशनल टूर्नामेंट

एक इंटरव्यू में मनु भाकर ने अपने संघर्ष के दौर के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्होंने अपना पहला नेशनल टूर्नामेंट किराए की पिस्टल से खेला था। मनु ने बताया, “जब मैंने शुरुआत की तो मेरे पास अपनी पिस्टल नहीं थी, मैंने विनीत सर की पिस्टल किराए पर ली थी। उस समय मुझे ये भी नहीं पता था कि ट्रिगर कितना गहरा दबाना है। ग्रिप बनाने में भी काफी दिक्कत होती थी।” मनु भाकर ने इन तमाम मुश्किलों के बावजूद हार नहीं मानी। मनु ने कहा, “मुझे पता था कि मुझे शूटिंग करनी है। मैंने सोचा कि मैं किसी तरह मैनेज कर लूंगी। अगर आपके अंदर जुनून है, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।”

पिस्टल लाइसेंस के लिए करना पड़ा था संघर्ष

एक समय मनु भाकर को पिस्टल लाइसेंस के लिए संघर्ष करना पड़ा था। मनु के पिता रामकिशन भाकर ने एक बार बताया था कि लाइसेंस बनवाने के लिए उन्हें हर रोज 45 किलोमीटर दूर झज्जर जाना पड़ता था। अफसरों ने उनकी एक भी नहीं सुनी। एशियन यूथ गेम्स नजदीक आ रहे थे और मनु को प्रैक्टिस के लिए पिस्टल की जरूरत थी। मजिस्ट्रेट और पुलिस ने सहयोग किया लेकिन तत्कालीन एडीसी ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। जिसके बाद लाचार होकर मनु के पिता ने हरियाणा के शिक्षा मंत्री से गुहार लगाई और सीएमओ और खेल मंत्री को भी ट्वीट किया। दो महीने बाद आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और मनु को लाइसेंस मिल गया।

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शूटिंग के अलावा दूसरे खेलों में भी हाथ आजमा चुकी है मनु भाकर

मनु भाकर इससे पहले कई इंटरव्यू में खेलों के प्रति अपने प्यार का जिक्र कर चुकी हैं। वह बॉक्सिंग और किक बॉक्सिंग भी खेलती थीं। शूटिंग से पहले मनु भाकर ने क्रिकेट की ट्रेनिंग भी ली है। उन्होंने वीरेंद्र सहवाग की झज्जर क्रिकेट एकेडमी में क्रिकेट के गुर सीखे। लेकिन जब स्कूल में शूटिंग रेंज बनी तो उन्होंने शूटिंग को चुना।

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Ankita Pandey

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