इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Movement In The Country) : देश की वर्तमान हालत को बदलने के लिए संसद से सड़क तक आंदोलन के साथ वैचारिक क्रांति की जरूरत है, वैचारिक क्रांति ही समाज में स्थायी परिवर्तन ला सकती है। राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को गांधी शांति प्रतिष्ठान में यह बात धीरेंद्रनाथ श्रीवास्तव के काव्य संग्रह ‘अच्छा भी हो सकता है’ के लोकार्पण के अवसर पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कही।
मुख्य अतिथि टिकैत ने कहा कि यदि कवि और किसान साथ मिलकर काम करें तो बड़ी क्रांति संभव है। काव्य संग्रह का लोकार्पण राकेश टिकैत के साथ समाज चिंतक राजकुमार जैन, समाज वैज्ञानिक प्रो. रमेश दीक्षित ने किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रो. रमेश दीक्षित ने हिन्दुस्तान में हुए तमाम जन आंदोलनों का जिक्र करते हुए धीरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव की कविताओं को अपने समय का जरूरी काव्य बताया।
कार्यक्रम को वरिष्ठ समाजवादी मोहन प्रकाश ने संबोधित करते हुए कहा कि धीरेन्द्रनाथ श्रीवास्तव की कविताएं वर्तमान और भविष्य है। राजकुमार जैन ने कहा कि लोकतंत्र सेनानी धीरेंद्र नाथ श्रीवास्तव एक वरिष्ठ पत्रकार और प्रेरक कवि हैं। श्रीवास्तव का काव्य संग्रह समाजवादी विचार दर्शन के साथ समाज में संघर्ष और वैचारिक क्रांति का प्रतीक है। कार्यक्रम को राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय, वरिष्ठ पत्रकार अनिल चौधरी, गीतकार डॉ. संजय पंकज, डॉ. शकील मोइन, अधिवक्ता एसएस नेहरा ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी चिंतक प्रो. राजकुमार जैन ने की। कार्यक्रम में गाजीपुर, लखनऊ, बनारस, दिल्ली समेत कई प्रांतों के बुद्धिजीवी थे, जिनमें मुख्य रूप से लोकनायक जयप्रकाश नारायण ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी अनिल त्रिपाठी, अवधेश सिंह, शहनवाज कादरी, चंद्रशेखर सिंह, वरिष्ठ गांधीवादी राजनाथ शर्मा, डॉ. हरीश खन्ना, मंटू राय, शेखर राय समेत बड़ी संख्या में बुद्धजीवी और श्रोता मौजूद रहे।
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