श्रीकृष्ण शर्मा
खेल का संचालन करने वाली संस्था का काम है कि खिलाड़ियों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन करे और भी निर्धारित समय पर करे। क्योंकि कड़ी मेहनत करने वाले खिलाड़ियों को इनका बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। जहां ऐसा होता है वहां खेल की प्रतिभाएं भी निकल कर सामने भी आती हैं। ऐसा ही दिल्ली में भी देखने को मिल रहा है। मौका है दिल्ली हॉकी की विभिन्न वर्गों की राज्य चैंपियनशिप का। यहां एक से बढकर एक उभरते खिलाड़ी देश के लिए हॉकी में कुछ नया करके दिखाने को व्याकुल दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में खेली गई सब जूनियर हॉकी में किए गए प्रदर्शन को आंककर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में देश को बेहतरी खिलाड़ी मिल सकते हैं। उन्हीं खिलाड़ियों में एक उभरता नाम है प्रत्युश सिंह जग्गी का। उनके खेल को देख कर कहा जा रहा है कि यह देश की टीम के जगह बना लेंगे। प्रत्युश सिंह जग्गी ने भविष्य की रूपरेखा पर कहा कि वह अपने देश की तरफ से ओलंपिक खेलों में कुछ नया करना चाहते हैं। दिल्ली सब जूनियर वर्ग में उन्होंने अपने स्किलफुल खेल से खेल प्रमियों को प्रभावित किया है। सब जूनियर प्रतियोगिता में सतरह गोल करके दिखा दिया कि वह अपनी तकनीक के बल पर हर एंगल से गोल करने की क्षमता रखते हैं। दिल्ली के झिलमिल हॉकी सेंटर के खिलाड़ी प्रत्युश सिंह जग्गी के खेल पर खेल के जानकारों का कहना है कि वह नेचुरल हॉकी खेलते हैं। वह ब्लाइंड हॉकी पर विश्वास नहीं रखते। उनको उनकी लम्बाई का लाभ भी हॉकी में मिल रहा है। सतरह साल के प्रत्युश में जोश और उमंग है। शाहदरा हीरोज क्लब से सात साल की उम्र में हॉकी की शरूआत करने वाले प्रत्युश सिंह जग्गी अब झिलमिल हॉकी सेंटर पर मोहम्मद यामीन से ट्रेनिंग लेकर दिल्ली की हॉकी की चर्चा का विषय बने हुए हैं। एक साल पहले शुरू हुए इस झिलमिल हॉकी सेंटर पर करीब सौ लडके और लडकियों की ट्रेनिंग लेने की बात करते हुए कोच मोहम्मद यामीन ने कहना है कि प्रत्युश में डी के अंदर मिली गेंद को गोल में डालने की कला अद्धभुत है। उनकी एक्युरेसी का जवाब नहीं उन्होंने कहा। भारतीय हॉकी टीमों ने ओलंपिक खेलों में जो प्रदर्शन किया उससे देश में हॉकी के प्रति भविष्य को लेकर युवाओं में विश्वास मजबूत हुआ है। यही होता है किसी भी बडी कामयाबी का असर।