India News (इंडिया न्यूज), IPL 2025: IPL 2025 के बीच प्रीति जिंटा कोर्ट पहुंच गई हैं, सवाल है कि क्या उनके कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के पीछे की वजह कुछ दिन पहले वैभव सूर्यवंशी के साथ वायरल हुई फर्जी तस्वीर है? 18 मई को पंजाब किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के बीच खेले गए मैच के बाद प्रीति जिंटा की वैभव सूर्यवंशी को गले लगाते हुए एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। जब लोग उस तस्वीर को सच मानने लगे तो प्रीति जिंटा को खुद आकर बताना पड़ा कि वह फर्जी तस्वीर थी। अब उस घटना के ठीक 2 दिन बाद प्रीति जिंटा के कोर्ट पहुंचने की खबर आ रही है, तो क्यों?
दरअसल, प्रीति जिंटा के कोर्ट पहुंचने के पीछे की वजह वैभव सूर्यवंशी के साथ सामने आई फर्जी तस्वीर बिल्कुल नहीं है। इसके पीछे की वजह दरअसल उनकी आईपीएल टीम पंजाब किंग्स के बाकी सह-मालिकों के साथ चल रहा विवाद है। अभिनेत्री और केपीएच ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक प्रीति जिंटा ने एक बार फिर सह-निदेशक मोहित बर्मन और नेस वाडिया के खिलाफ चंडीगढ़ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
IPL 2025
कोर्ट में दायर याचिका में प्रीति जिंटा ने मांग की है कि 21 अप्रैल को आयोजित कंपनी की ईजीएम को अवैध और अमान्य घोषित किया जाए। उन्होंने दावा किया कि यह बैठक कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों और आम बैठकों पर सचिवालय मानकों का खुला उल्लंघन करते हुए मोहित बर्मन की ओर से नेस वाडिया के सक्रिय समर्थन से आयोजित की गई थी।
प्रीति जिंटा ने यह भी मांग की कि मोहित बर्मन और नेस वाडिया को उस बैठक में पारित किसी भी प्रस्ताव को लागू करने से रोका जाए और मुनीश खन्ना को कंपनी के निदेशक के रूप में कार्य करने या खुद को निदेशक घोषित करने से रोका जाए। इसके अलावा उन्होंने कंपनी और अन्य निदेशकों को मामले के लंबित रहने के दौरान उनके और करण पॉल की मौजूदगी के बिना और मुनीश खन्ना की मौजूदगी में कोई भी बोर्ड मीटिंग या आम बैठक आयोजित करने या कंपनी के मामलों से संबंधित कोई भी काम करने से रोकने की मांग की है।
प्रिटी जिंटा के पास कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक निजी कंपनी केपीएच ड्रीम क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड में 23% हिस्सेदारी है। पंजाब किंग्स क्रिकेट टीम का स्वामित्व रखने वाली यह कंपनी आईपीएल की एक फ्रेंचाइजी धारक है।
अदालत ने प्रतिवादियों को मुकदमे के जवाब में अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। प्रीति जिंटा ने पहले भी मोहित बर्मन को कंपनी में अपनी 11.5 प्रतिशत हिस्सेदारी पर किसी तीसरे पक्ष के अधिकार बनाने, बेचने या हस्तांतरित करने से रोकने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था।