India News (इंडिया न्यूज़), Shraddha Rangarh: फरीदाबाद की 20 वर्षीय श्रद्धा रंगड़ ने उज्बेकिस्तान में सीनियर महिला म्यूजिकल फॉर्म हार्ड स्टाइल वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता। वह खेल के प्रति अपने समर्पण और प्रतिभा के लिए जानी जाती हैं। श्रद्धा को बचपन से ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह एक पारंपरिक पहाड़ी परिवार में पली-बढ़ी। अपने जुनून और साहस के साथ, उन्होंने 20 साल की उम्र में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसमें G-1 इंटरनेशनल ताइक्वांडो मेडलिस्ट और स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ राष्ट्रीय स्वर्ण पदक विजेता होना शामिल है।
श्रद्धा रंगड़ ने क्या कहा?
श्रद्धा रंगड़ ने कहा कि, यह कुछ ऐसा है जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। हर एथलीट का सपना होता है कि वह जाने कि चैंपियन बनना कैसा लगता है और वैश्विक मंच पर अपना राष्ट्रगान सुनना कैसा लगता है। मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य अपने देश को गौरवान्वित करना है और मैं इस पर कायम हूं।
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कड़ी ट्रेनिंग श्रद्धा के जीवन का अहम हिस्सा
बता दें कि, श्रद्धा की ट्रेनिंग कठिन है, जिसमें एक दिन में तीन सेशन शामिल हैं। जो सुबह 4:30 बजे शुरू होकर रात 9 बजे खत्म होता है। उन्होंने बताया कि मेरा सुबह का सेशन तीन घंटे ताकत, चपलता और सहनशक्ति पर केंद्रित होता है। दोपहर के सेशन में मैं नए हुनर सीखने पर काम करती हूं। अभी मैं इल्यूजन ट्विस्ट, टच डाउन रेज, चीट गेनर और कॉर्कस्क्रू जैसी तकनीकों पर ध्यान दे रही हूं। सिर्फ कुछ हुनर पर ध्यान देना गलत होगा। मैंने सालों तक कई तकनीकों का अभ्यास किया है। मैं 720 किक, बी-ट्विस्ट और सांसों पर नियंत्रण रखने में संघर्ष करती थी, लेकिन अब मैं उन क्षेत्रों में आत्मविश्वास महसूस करती हूं।
विश्व कप के बाद एशियाई चैंपियनशिप को देखते हुए यह साल उनके लिए चुनौतियां लेकर आया है। उन्होंने कहा कि मानसिक तैयारी पूरी तरह से निरंतरता पर निर्भर करती है। अगर आप लगातार प्रयास करते हैं, तो आप जीतने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास रखते हैं। मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं अपने परिवार के अन्य टॉपर्स की तरह कड़ी मेहनत से पढ़ाई करूं, लेकिन मैं एक फाइटर बनना चाहती थी। फिर रिजल्ट देखने के बाद अब वे मेरा समर्थन करते हैं।
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