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फिटनेस नहीं, चयन के लिए अब देना होगा ये खास टेस्ट…रोहित-राहुल के इस प्लान को मिली मंजूर

इंडिया न्यूज़ (India News), Indian Team: भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर टी20 विश्व कप अपने नाम किया। पिछले पांच सालों में एक रियर मामला था, जब पूरी भारतीय टीम के सभी खिलाड़ी मैच के लिए फिट और चयन के लिए उपलब्ध थे। 2019 वनडे विश्व कप के बाद जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या जैसे स्टार खिलाड़ियों के बार-बार चोटिल होने से परेशान राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI)की मेडिकल टीम ने पिछले दो सालों में अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए फिटनेस टेस्ट से इंजरी निवारक टेस्ट (Injury Prevention Test) और परफॉर्मेंस टेस्ट करने का अपना तरीका बदल दिया है।

इंजरी से बचने के लिए एनसीए ने तैयार किया टेस्ट

एनसीए के एक दस्तावेज के मुताबिक, यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि फिटनेस टेस्ट ही खिलाड़ियों के लिए ‘चयन मानदंड’ नहीं हैं। विराट कोहली की कप्तानी और कोच रवि शास्त्री की कप्तानी में भारतीय टीम प्रबंधन ने यो-यो टेस्ट जैसे फिटनेस टेस्ट आयोजित किए थे, जो खिलाड़ियों की सहनशक्ति की जांच करते हैं। एनसीए टीम, जिसमें फिजियो और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच शामिल हैं, उन्होंने खिलाड़ियों के फिटनेस टेस्ट के लिए तीन चीजें तैयार कि जिसे परफॉर्मेंस टेस्टिंग बैटरी, प्रिवेंशन टेस्टिंग बैटरी और नेशनल फिटनेस टेस्टिंग क्राइटेरिया (एन. एफ. टी. सी.) के रूप में जाना जाता है।

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इंजरी से बचने के लिए फिटनेस टेस्ट से परफॉर्मेंस टेस्ट पर शिफ्ट हुआ फोकस

NFTC हर 12-16 सप्ताह में आयोजित किया जाता है, परफॉर्मेंस टेस्ट हर 6 सप्ताह में और रोकथाम परीक्षण हर 2 सप्ताह में आयोजित किया जाता है। NFTC में 10 मीटर स्प्रिंट टेस्ट, 20 मीटर स्प्रिंट टेस्ट, लॉन्ग जंप, यो-यो टेस्ट और डेक्सा स्कैन (Fat Percentage)टेस्ट शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये संख्याएँ एक आयु वर्ग के एथलीटों के औसत से ली गई हैं और ये केवल समूह मानक हैं। ये केवल फिटनेस मापदंड हैं और चयन मानदंड नहीं हैं। विशेष रूप से, केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ियों की तुलना में उभरते खिलाड़ियों के लिए यो-यो और 20 मीटर स्प्रिंट संख्याएँ अधिक निर्धारित की गई हैं।

अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए यो-यो मार्क 16.5 है, जबकि इमर्जिंग खिलाड़ियों के लिए 16.7 होने की उम्मीद है। दिलचस्प बात यह है कि अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्ट एनसीए में कठिन हैं। क्योंकि एक बार जब कोई खिलाड़ी केंद्रीय रूप से अनुबंधित हो जाता है, तो वह अपने द्वारा खेले जाने वाले क्रिकेट की मात्रा और मैदान पर बिताए गए समय के आधार पर वह अपने फिटनेस के डिजायर लेवल पर पहुंच जाता है। इसलिए अनुबंधित खिलाड़ियों के लिए एनएफटीसी टेस्ट कराने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए अब ध्यान चोट की रोकथाम और प्रदर्शन परीक्षणों पर केंद्रित हो गया है।

प्रिवेंशन टेस्ट में क्या होता है?

बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया, ‘भारतीय टीम के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच सोहम देसाई और फिजियो योगेश परमार, तुलसी और कमलेश जैन ने 2023 वनडे वर्ल्ड कप और इस टी20 वर्ल्ड कप के दौरान खिलाड़ियों को फिट रखने के लिए काफी अच्छा काम किया है।’ जिसमें प्रिवेंशन टेस्ट सबसे अहम हो गया है। इसमें ओवरहेड स्क्वाट, वॉकिंग लंज, ग्लूट ब्रिज होल्ड और हाफ नीलिंग मेडिसिन बॉल थ्रो जैसे टेस्ट शामिल हैं। ये छोटे टेस्ट होते हैं लेकिन इसमें देखा जाता है कि टेस्ट के दौरान खिलाड़ी अपनी पोजीशन सही से बनाए रख पाता है या नहीं। अगर खिलाड़ी इन टेस्ट को करने में संघर्ष करता है तो यह एक चेतावनी संकेत है कि खिलाड़ी चोटिल हो सकता है।

जीपीएस वेस्ट और हूप बैंड खिलाड़ियों को रनिंग और बॉलिंग डेटा के साथ-साथ नींद और रिकवरी जैसी ऑफ-फील्ड गतिविधियों की जिम्मेदारी लेने में भी मदद करते हैं। सूत्रों के अनुसार, सर्जरी आखिरी विकल्प होता है। बुमराह, हार्दिक, रवींद्र जडेजा और श्रेयस अय्यर के मामलों की तरह, मेडिकल टीम ने 2022-23 में इन बैटरी परीक्षणों पर काम करने की कोशिश की थी। सूत्र के अनुसार, खिलाड़ी जब मैदान पर उतरे तो यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत सारे आंकड़े और परीक्षण हैं कि वह सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में है।

रोहित और द्रविड़ ने बनाई थी खास योजना

टीम इंडिया के हेड कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा ने फरवरी 2022 में खिलाड़ियों के पूल के लिए एक योजना तैयार की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘कप्तान और कोच ने फरवरी में स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच और फिजियो के साथ बैठक की थी। उन्होंने भारत के शेड्यूल को देखा। रोहित और द्रविड़ ने उन्हें खिलाड़ियों का एक पूल दिया था। सपोर्ट स्टाफ को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि खिलाड़ी 2022 में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए उपलब्ध और सर्वश्रेष्ठ स्थिति में रहे। 2023 में होने वाले वनडे विश्व कप और अब इस टी20 विश्व कप के लिए भी यही प्रक्रिया जारी रही। इस प्रकार खिलाड़ियों के खेलने के लिए हर सीरीज को चिह्नित किया गया।’ जबकि सारा ध्यान भारत के संभावित शीर्ष 15 खिलाड़ियों पर था, टीम प्रबंधन वास्तव में उस समय हर एक खिलाड़ी के लिए समान विकल्पों पर विचार कर रहा था। टीम प्रबंधन लगभग 30 खिलाड़ियों पर विचार कर रहा था।

यह तय किया गया कि अगर ट्रेनर और फिजियो को लगता है कि कोई खिलाड़ी टी20 विश्व कप के लिए चयन के लिए फिट और उपलब्ध है तो टीम में लिया जाता था। द्रविड़ और रोहित ने पिछले साल वनडे विश्व कप में ऋषभ पंत और पांड्या को खोने से पहले 2022 टी20 विश्व कप में चोट के कारण बुमराह और जडेजा को खो दिया था। लेकिन वे अपनी योजना पर अड़े रहे। इसके परिणामस्वरूप अंततः भारत ने बारबाडोस में ICC ट्रॉफी उठाई।

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Ankita Pandey

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