इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली: इन दिनों भारतीय क्रिकेट में सबसे ज़्यादा चर्चा विराट कोहली (Virat Kohli) की होती है। ज़ाहिर है कि पिछली 13 अंतरराष्ट्रीय पारियों में से दस में 20 या इससे कम स्कोर बनाना और अपने पुराने रंग से बेहद दूर होना इसकी वजह है।
लेकिन वहीं रोहित शर्मा भी पहले जैसा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं और विराट के अधिक चर्चा में आने के कारण उनकी कमज़ोरियां हाशिए पर चली गई हैं। सच यह है कि रोहित ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ काफी पहले दो हाफ सेंचुरियां बनाई थीं। उसके बाद अब जाकर ओवल में वह हाफ सेंचुरी लगा पाए हैं।
बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों के सामने असहाय हो जाना उनकी आज भी सबसे बड़ी परेशानी है। इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे और तीसरे वनडे और उससे पहले तीसरे टी-20 में वह बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ रीस टोप्ले की लेंग्थ बॉल के शिकार बने। इनमें एक मौके पर वह स्लोवर पर, दूसरे मौके पर ड्राइव लगाने से चूकने पर और तीसरे वनडे में कोण लेती हुई गेंद पर वह आउट हुए।
रोहित की कमजोरी है इनस्विंगिंग बॉल
पिछले साल टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ वह शाहीन शाह आफरीदी की इनवर्ड मूवमेंट लेती हुई यॉर्कर के शिकार बने थे। कुछ साल पहले वानखेड़े स्टेडियम में न्यूज़ीलैंड के लेफ्ट आर्म स्पीडस्टर ट्रेंट बोल्ट की गेंद उनके बैट और पैड के बीच से होती हुई विकेटों पर चली गई थी।
ऑस्ट्रेलियाई लेफ्ट आर्म पेसर जेसन बेहरनडोर्फ ने गुवाहाटी में उन्हें एक अंदर आती गेंद पर आउट किया। इस दौरान उनका फुटवर्क इतना धीमा था कि वह हाफ फॉरवर्ड ही हो पाए। 2017 की चैम्पियंस ट्रॉफी में मोहम्मद आमिर की इनस्विंगर के वह शिकार हुए।
इन सब मैचों में उनका साइड स्टांस उनके लिए परेशानी का सबब बना। दरअसल बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ की अंदर आती गेंदों पर वह बहुत आरामदायक स्थिति में नहीं होते। कई बार निप-बेकर, कई बार इनस्विंग और कई बार इनवर्ड मूवमेंट गेंदें उनकी लिए बड़ी चुनौती साबित हुई हैं।
इसके लिए क्या कर सकते हैं रोहित
इसके लिए ज़रूरी है कि वह अपने स्टांस को खोलें। हालांकि एशिया कप में वह ओपन स्टांस से ही खेले थे और क़ामयाब भी हुए थे। ओपन स्टांस पर उनका फ्रंटफुट अक्रॉस जाता है जिससे वह अपनी स्टम्प्स को भी कवर कर लेते हैं। वहीं एक सच यह भी है कि वह ओपन स्टांस से खेलने में खुद को आरामदायक स्थिति में महसूस नहीं करते,
इसलिए देखा गया है कि वह कई बार वह स्टम्प के सामने खड़े रह जाते हैं। ऑफ से अंदर आती गेंदों पर कई बार उनका बल्ला देरी से आता है। इसके अलावा कई बार बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ पर ड्राइव खेलते हुए उनका सिर फ्रंट फुट से दूर रहता है। उनका हाथ तेज़ से एक्शन में आते हैं
लेकिन शरीर देरी से आगे आता है जबकि इस मामले में विराट कोहली (Virat Kohli) की शैली बिल्कुल अलग है लेकिन उनके आउट होने के तरीके उनसे एकदम अलग हैं। ऐसी स्थिति में रोहित का बॉडी वेट देरी से आगे की ओर ट्रांसफर होता है।
सीम मूवमेंट और स्विंग होती गेंदों पर वह कई बार शरीर से दूर खेल बैठते हैं। ऐसी स्थिति में बैट और पैड के बीच गैप बनने से उनकी परेशानियां बढ़ जाती हैं और गेंद सीधे आकर उनके पैड से टकराती हैं और उन्हें आउट होने से बचने का समय ही नहीं मिल पाता।
विराट की भी कमजोरी है बाएं हाथ के तेज गेंदबाज
याद कीजिए 2003 के वर्ल्ड कप में सचिन तेंडुलकर बतौर ओपनर पहली गेंद पर स्ट्राइक नहीं ले रहे थे लेकिन बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ वसीम अकरम के सामने उन्होंने स्ट्राइक ली। ऐसा उन्होंने इसलिए किया अकरम की तेज़ी से अंदर आती गेंदों पर सहवाग को बचाया जा सके।
रोहित शर्मा को ऐसे तमाम उदाहरणों से सीखने की ज़रूरत है। मगर अच्छी बात यह है कि रोहित खासकर डेविड विली और मिचेल स्टार्क जैसे बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों को थोड़ा बेतर तरीके से खेलते हैं। वैसे विराट कोहली (Virat Kohli) भी बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों के सामने काफी बार आउट हो चुके हैं।
ट्रेंट बोल्ट, शाहीन शाह आफरीदी, मोहम्मद आमिर और डेविड विली ने उनके लिए कई बार परेशानियां खड़ी की हैं जिसे वह अब तक हल नहीं कर सके हैं। ज़ाहिर है कि रोहित और विराट को इस समस्या का हल जल्द से जल्द निकालना होगा क्योंकि वैसे भी अब टी-20 वर्ल्ड कप शुरू होने में ज़्यादा वक्त नहीं रहा।
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