केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मंसुख मांडविया ने भारतीय पुरुष और महिला खो खो टीमों को उनके उद्घाटन खो खो विश्व कप 2025 में ऐतिहासिक जीत के लिए सम्मानित किया। यह प्रतियोगिता 19 जनवरी को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में खेली गई थी, जहां दोनों टीमों ने अपने-अपने फाइनल्स में नेपाल को हराया।

पारंपरिक खेलों की भावना का उत्सव

अपने संबोधन में डॉ. मांडविया ने खिलाड़ियों द्वारा दिखाए गए साहस और सामुदायिक भावना की सराहना की और पारंपरिक खेलों के महत्व को उजागर किया। उन्होंने कहा कि ये खेल भारतीय खेल धरोहर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और दुनिया को इन खेलों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

भविष्य की दिशा: एशियाई खेल 2026 और 2036 ओलंपिक की दिशा

केंद्रीय मंत्री ने पारंपरिक खेलों के भविष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए एशियाई खेल 2026 को अगला बड़ा लक्ष्य बताया। डॉ. मांडविया ने 2036 ओलंपिक में कोह-कोह को शामिल करने के लिए सरकार की महत्वाकांक्षा को भी साझा किया और सभी संबंधित पक्षों से लगातार समर्थन की अपील की ताकि खिलाड़ियों का प्रदर्शन और बेहतर हो सके।

प्रशिक्षण शिविर और रणनीतिक तैयारी

यह जीत विशेष रूप से स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जेएलएन स्टेडियम में आयोजित एक महीने लंबे प्रशिक्षण शिविर का परिणाम रही। मुख्य कोच सुमित भाटिया ने तैयारी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि खिलाड़ियों को पहली बार स्पोर्ट्स साइंस टेस्टिंग से गुजरना पड़ा और उन्हें सर्वोत्तम आहार और आवास सुविधाएं प्रदान की गई, जिससे उनकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान मिला। इंग्लैंड में अगले वर्ल्ड कप के लिए भारत का ध्वज फिर से शीर्ष पर फहराने की उम्मीद जताते हुए भाटिया ने इसे अपना लक्ष्य बताया।

कोह-कोह के विकास के लिए सरकार का निरंतर समर्थन

डॉ. मांडविया ने सरकार की खो खो विश्व कप 2025 के लिए समर्थन की पुष्टि की और सुनिश्चित किया कि खेल का निरंतर विकास और वैश्विक मंच पर मान्यता प्राप्त होगी।