खेल

इस खिलाड़ी को सबसे पहले किसे मिला था खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार में क्या अंतर है?

India News (इंडिया न्यूज),Major Dhyanchand Khel Ratna:भारत सरकार ने 4 खिलाड़ियों को भारत रत्न पुरस्कार देने का एलान किया है। जिसमे पेरिस ओलंपिक में 2 मेडल जितने वाली निशानेबाज मनु भाकर, विश्व शतरंज चैंपियन डी गुकेश, हॉकी खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह, पैरा एथलीट खिलाड़ी प्रवीण कुमार शामिल हैं। युवा मामले और खेल मंत्रालय ने 2 जनवरी को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2024 की घोषणा की है। 17 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार विजेताओं को पुरस्कार देंगे। आइए जानते हैं खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार में क्या अंतर है?

खेल के क्षेत्र में दिए जाते हैं ये पुरस्कार

मेजर ध्यानचंद खेल रत्न

शायद ही आप इस बात को जानते होंगे कि खेल रत्न को पहले राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2021 में उसका नाम बदल कर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न रख दिया गया। यह पुरस्कार चार वर्षों से अधिक समय तक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को दिया जाता है।

इन खिलाड़ियों को मिलता है पुरस्कार

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले चार साल की अवधि में खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को यह पुरस्कार दिया जाता है। खेल मंत्रालय की ओर से गठित एक समिति चयन करती है कि पिछले चार सालों में किन खिलाड़ियों का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। समिति की अनुशंसा के बाद खिलाड़ियों के नामों का ऐलान किया जाता है।

मनु भाकर के नाम पर विवाद

बता दें इस साल खेल पुरस्कारों के लिए जो लिस्ट बना था उसमें मनु भाकर का नाम नहीं था। मनु भाकर के नाम को लेकर पिछले कई दिनों से काफी विवाद हुआ जिसमें पहले ये कहा गया था कि उनके नाम की अनुशंसा नहीं की गई है। फिलहाल केंद्र सरकार ने मनु भाकर को यह पुरस्कार देने का ऐलान किया है।

सबसे पहले किसे मिला था खेल रत्न

शतरंज के ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को सबसे पहले 1991-92 में  खेल रत्न पुरस्कार दिया गया था। यह पुरस्कार पाने वाले सबसे युवा एथलीट पिस्टल निशानेबाज अभिनव बिंद्रा हैं। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी 1994-95 में खेल रत्न प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

अर्जुन पुरस्कार

अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों को खेल के क्षेत्र में उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार है। इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1961 में हुई थी। इसका नाम ऐतिहासिक भारतीय महाकाव्य महाभारत के मुख्य पात्र अर्जुन के नाम पर रखा गया है। इस पुरस्कार के तहत खिलाड़ियों को प्रशस्ति पत्र, अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और 15 लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है। फुटबॉल में भारत के ओलंपियन पी.के. बनर्जी यह पुरस्कार पाने वाले पहले खिलाड़ी थे। वहीं, अर्जुन पुरस्कार पाने वाली पहली महिला हॉकी खिलाड़ी अन्ना लम्सडेन थीं।

सरकार ने इस साल 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार देने का फैसला किया है। इसमें ज्योति याराजी (एथलेटिक्स), अन्नू रानी (एथलेटिक्स), नीतू (मुक्केबाजी), स्वीटी (मुक्केबाजी), वंतिका अग्रवाल (शतरंज), सलीमा टेटे (हॉकी), अभिषेक (हॉकी), संजय (हॉकी), जरमनप्रीत सिंह (हॉकी), सुखजीत सिंह (हॉकी), राकेश कुमार (पैरा तीरंदाजी), प्रीति पाल (पैरा एथलेटिक्स) समेत 32 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इससे पहले 967 खिलाड़ियों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है।

द्रोणाचार्य पुरस्कार

भारत में कोच की अहम भूमिका या योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार ऐसे गुरु को दिया जाता है जो न केवल मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है, बल्कि एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी को स्टार बनने के लिए तैयार भी करता है। यह भारत में खेलों में कोचों के लिए सबसे बड़ा सम्मान है, जिसकी स्थापना 1985 में हुई थी। यह उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक विजेताओं को तैयार किया हो। यह महाभारत पर आधारित है, जहां अर्जुन के गुरु या प्रशिक्षक द्रोणाचार्य थे। द्रोणाचार्य पुरस्कार का नाम द्रोण के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने कौरवों और पांडवों को युद्ध की रणनीति के गुर सिखाए थे। उन्होंने महाभारत के दौरान अपने शिष्यों को यह नीति सिखाई ताकि वे हर मुश्किल का सामना कर सकें। इसलिए यह कहा जाता है कि खिलाड़ी का कोच कितना कुशल है और वह अपने खिलाड़ियों को विजेता बनने के लिए कैसे तैयार करता है।

इस उपाधि को खेलों में उत्कृष्ट कोच के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार कहा जाता है। यह उन कोचों को दिया जाता है जिन्होंने 4 साल में अपने खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया हो। विजेताओं को द्रोणाचार्य की एक कांस्य प्रतिमा, एक प्रमाण पत्र और 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। इस साल सुभाष राणा (पैरा शूटिंग), दीपाली देशपांडे (शूटिंग) को यह पुरस्कार दिया जाएगा। पहला द्रोणाचार्य पुरस्कार कुश्ती कोच भालचंद्र भास्कर भागवत को दिया गया था। वहीं एथलेटिक्स कोच रेणु कोहली 2002 में द्रोणाचार्य पुरस्कार पाने वाली पहली महिला बनीं।

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Divyanshi Singh

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