India News (इंडिया न्यूज), Hamida Banu: कुश्ती पुराने ज़माने में शाही परिवारों के मनोरंजन का ज़रिया हुआ करती थी। हालाँकि इसकी शुरुआत पुरुषों को फिट रखने के लिए की गई थी, लेकिन अब कुश्ती एक पेशेवर खेल बन गया है, जिसमें कई महिलाओं ने अपना नाम बनाया हैं। अगर भारत के इतिहास में कुश्ती के निशानों की बात करें, तो यह पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू होता है। बता दें की कुश्ती का प्रारंभिक रूप ‘मल्ल-युद्ध’ के नाम से फेमस था, जिसका अर्थ है दो लोगों के बीच हाथ से हाथ का मुकाबला। हमारे प्राचीन महाकाव्यों जैसे महाभारत और रामायण में इसके कई संदर्भ हैं।

  • पुरुषों के खेल के रूप में कुश्ती की हुई शुरूआत
  • भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान
  • हमीदा बानू ने शादी करने के लिए पहलवानों को चुनौती

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पुरुषों के खेल के रूप में कुश्ती की हुई शुरूआत

जैसे-जैसे समय बीतता गया, कुश्ती पूरे देश में फेमस होती गई और अलग-अलग लोगों ने इसे अलग-अलग नाम दिए। कुश्ती, पहलवानी से लेकर दंगल तक, हमारे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कुश्ती के अलग-अलग नाम हैं। एक और जरुरी बात यह है कि कुश्ती की शुरुआत पुरुषों के खेल के रूप में हुई थी, लेकिन अब भारत में कई महिला पहलवान हैं।हाल के दशकों में, हमें कई शानदार प्रतिभाशाली महिला पहलवानों की वीरता देखने का सौभाग्य मिला है। हालाँकि उनके नामों की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन सबसे पॉपुलर लोगों में साक्षी मलिक, विनेश फोगट, बबीता फोगट, गीता फोगट, दिव्या काकरान, अलका तोमर, निशा दहिया, गीतिका जाखड़ और कई नाम शामिल हैं।

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भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान

हमीदा बानू भारत की पहली महिला पेशेवर पहलवान हैं। उनका जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। कम उम्र से ही, उन्हें कुश्ती में दिलचस्पी थी, क्योंकि उनका जन्म पहलवानों के परिवार में हुआ था। उन्हें खेलते और अभ्यास करते देखकर, हमीदा को कुश्ती में गहरी दिलचस्पी हो गई और उन्होंने उस समय इसमें भाग लेने का फैसला किया जब इसे ‘पुरुषों का खेल’ माना जाता था।

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हमीदा बानू ने शादी करने के लिए पहलवानों को चुनौती

हमीदा बानू न केवल भारत की पहली पेशेवर पहलवान थीं, बल्कि वे कुश्ती में भी असाधारण थीं। सभी दांव-पेंच और तकनीक सीखने के बाद, वे ऐसी पहलवान थीं, जिन्हें हर प्रतिद्वंद्वी हराना चाहता था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हमीदा बानू कुश्ती के प्रति इतनी जुनूनी थीं कि उन्होंने फरवरी 1954 में कुछ पहलवानों को खुली चुनौती दी थी कि अगर वे उनसे शादी करना चाहते हैं तो उन्हें हराएँ। कुश्ती के प्रति इस जुनून और प्रतिबद्धता के साथ, हमीदा बानू ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया, जब उन्होंने एक रूसी पहलवान, वेरा चिस्टिलिन को केवल दो मिनट में हरा दिया।

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