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आत्मनिर्भर भारत का बजा दुनिया भर में डंका, तेजस ने की INS विक्रांत पर सफल लैंडिंग

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : February 6, 2023, 7:37 pm IST

(दिल्ली) : पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मन्त्र भारत को दिया था। पीएम मोदी ने कहा था ” आत्मनिर्भर भारत के जरिए हम लोकल से ग्लोबल बन सकते है। शुरुआत में जब भारत ने आत्मनिर्भर भारत का मिशन शुरू किया तरह -तरह की बातें की गयी थी। लेकिन अब आत्मनिर्भर भारत का प्रयोग सफल नजर आ रहा है और इस मिशन का दुनिया भर में डंका बजता नजर आ रहा है। बता दें, एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत ने एक और मील के पत्थर को बौना साबित कर दिखाया है। आईएनएस विक्रांत पर पहली बार एक फिक्स विंग एयरक्राफ्ट ने सफल लैंडिंग की है। भारत के स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का नौसेना के लिए डिजाइन किया गया वर्जन समुद्री परीक्षणों के हिस्से के रूप में INS विक्रांत पर सफलतापूर्वक लैंड किया है । इस बात की सूचना खुद इंडियन नेवी ने अपनी सोशल मीडिया हैंडल के जरिए दी है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में इंडियन नेवी का बड़ा कदम

बता दें, इंडियन नेवी ने ट्विटर हैंडल @indiannavy पर तस्वीरें शेयर की हैं। इन तस्वीरों में तेजस को आईएनएस विक्रांत पर सफलतापूर्वक लैंड करते हुए देखा जा सकता है। आत्मनिर्भर भारत के सफल प्रयोग पर इंडियन नेवी ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा है, ‘इंडियन नेवी ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक ऐतिहासिक माइल स्टोन अचीव किया गया है। पायलट ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट(LCA ) की आईएनएस विक्रांत के बोर्ड पर लैंडिंग की है।’

इंडियन नेवी ने अपने पोस्ट में आगे लिखा है, ‘यह सफल लैंडिंग स्वदेशी लड़ाकू विमान (तेजस) के साथ स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर को डिजाइन, डेवलप, कंस्ट्रक्ट और ऑपरेट करने की भारत की क्षमता को दिखाता है।’

समंदर का सिकंदर है INS विक्रांत

मालूम हो, 45 हजार टन वजनी आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में इंडियन नेवी को सौंपा गया था। सम्नदर के सिकंदर को बनाने में कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपये की। बता दें, इस युद्धपोत लंबाई 262 मीटर है और चौड़ाई 62 मीटर है। साथ ही ये भारत मे बना अब तक का सबसे बड़ा वॉरशिप है। आईएनएस विक्रांत एक साथ 30 एयरक्राफ्ट को लेकर चल सकता है। इन एयरक्राफ्ट्स में MiG-29K के साथ-साथ फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर्स शामिल हैं।

वहीं,आईएनएस विक्रांत पर एक साथ 1600 लोगों का क्रू चल सकता है। तक़रीबन एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद भारत में इसे बनाया गया है। बता दें, आईएनएस विक्रांत का नाम इसके पहले इस्तेमाल किए जा रहे युद्धपोत के नाम पर रखा गया है। मालूम हो, पुराने आईएनएस विक्रांत ने 1971 में बांग्लादेश लिबरेशन के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ जंग में एक अहम भूमिका निभाई थी।

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