इंडिया न्यूज़, दिल्ली : त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वोटिंग में सिर्फ दो दिन बचे हैं। त्रिपुरा में 16 फरवरी वोटिंग का दिन है। भाजपा को सत्ता में दुबारा से वापसी के लिए खुद पीएम नरेंद्र मोदी जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। एक तरफ बीजेपी की ओर से खुद पीएम मोदी और अमित शाह चुनाव को एकतरफा बनाने की कोशिश में जुटे हैं। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से इस चुनाव में गांधी परिवार दूरी बनाए नजर आ रहा है। कांग्रेस पार्टी का आलाकमान इस चुनाव में प्रचार के अंतिम दिन दूर -दूर तक अब तक नजर नहीं आया है। कांग्रेस की ओर से न प्रियंका न राहुल गांधी किसी ने चुनाव प्रचार एक बागडोर संभाला है। बता दें, त्रिपुरा में कांग्रेस- लेफ्ट के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। शयद एक वजह ये भी हो सकता है कि पार्टी ने चुनाव प्रचार और जीत का पूरा जिम्मा लेफ्ट नेताओं पर ही छोड़ दिया है।
चुनाव से पहले हार स्वीकार
अगर राहुल गांधी के मौजूदा शेड्यूल को देखा जाए तो ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी कहीं व्यस्त हैं। वे अपनी कश्मीर से कन्याकुमारी तक की भारत जोड़ो यात्रा भी खत्म कर चुके है। जानकरी के मुताबिक, इनदिनों राहुल अपने लोकसभा क्षेत्र केरल के वायनाड दौरे पर हैं लेकिन चुनावी राज्यों से दूरी बना रखी है। ऐसे में सवाल तो जरूर बनत है कि क्या लड़ाई से पहले ही कांग्रेस ने हार स्वीकार कर ली है। क्या इस मानसिकता से कांग्रेस 2024 में मोदी को कैसे मात दे पाएगी ? कांग्रेस पार्टी उन्हीं राज्यों में दम दिखाएगी जहां पहले से कांग्रेस की सरकार है?
त्रिपुरा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति
बता दें, त्रिपुरा चुनाव में माकपा त्रिपुरा की 43 सीट पर तो कांग्रेस 13 सीट पर चुनाव लड़ रही है। वहीं गठबंधन के अन्य घटक- फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और भाकपा- एक-एक सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं। मालूम हो, कांग्रेस और माकपा का गठबंधन पश्चिम त्रिपुरा में रामनगर निर्वाचन क्षेत्र में एक निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन भी कर रहा है।