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Manipur Violence: मणिपुर में सुरक्षाबलों की 20 कंपनियां और जाएंगी, सभी दलों ने की यह अपील

Roshan Kumar • LAST UPDATED : May 7, 2023, 10:44 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), Manipur Violence, इंफाल: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में कुकी-मीतेई हिंसा के बीच शनिवार को सर्वदलीय बैठक की। सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बल व्यवस्था बनाए रखना जारी रखते हैं, हालांकि कुछ इलाकों में छिटपुट हिंसा भड़क गई। बीरेन सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने इस बात पर सहमति जताई कि सभी को तनाव कम करने के लिए पार्टी लाइन से हटकर काम करना चाहिए और लोगों से सामान्य स्थिति लाने में मदद करने की अपील की।

  • सभी पार्टियों ने की शांति की अपील
  • 14 सेना की कंपानियों तैनात
  • 20000 लोगों को निकाला गया

सूत्रों ने कहा कि हिंसा में कई लोग हताहत हुए हैं। अस्पतालों के डॉक्टरों ने कई लोगों के हताहत होने की सूचना दी। शुक्रवार की रात, सुरक्षा बलों और कुछ सशस्त्र स्थानीय लोगों में चुराचंदपुर में मुठभेड़ हुआ। पूरे मणिपुर में सुरक्षा बलों की करीब 14 कंपनियां तैनात हैं और केंद्र द्वारा 20 और भेजी जा रही हैं।

शांति की अपील

सूत्रों ने कहा कि लगभग 20,000 लोगों को हिंसा प्रभावित इलाकों से निकाला गया है। इसमें पहाड़ियों में बसे मैतेई और इंफाल घाटी में बसे कुकी लोग शामिल हैं। मैतेई और कुकी दोनों के नागरिक समाज संगठनों ने शांति बनाए रखने की अपील की।

वायरल हो रहा वीडियो

पुलिस ने लोगों से पिछले कुछ दिनों में आठ पुलिस चौकियों से लूटे गए सभी हथियारों को सरेंडर करने को कहा है। सोशल मीडिया पर वीडियो वारयल हो रहे है जिसमें लोगों को मणिपुर में लूटी हुई बंदूकें ले जाते हुए और सड़कों पर घूमते हुए दिखाते हैं। सेना ने म्यांमार से लगी सीमा पर ड्रोन के जरिए निगरानी बढ़ा दी है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि घाटी में रहने वाले उग्रवादी सीमा से सटे घने जंगलों में छिपे हुए हैं।

कई कारणों से हिंसा

कई कारकों ने हिंसा को जन्म दिया है जिसमें ताजा ट्रिगर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के तहत शामिल करने के लिए मेतेई समुदाय की मांग जिसपर राज्य हाईकोर्ट ने फैसला दिया। मेतेई “सामान्य” श्रेणी के हिंदू हैं और ज्यादातर इम्फाल घाटी में बसे है। कूकी आदिवासी जो ईसाई हैं मैतेई को एसटी नहीं बनाना चाहते क्योंकि इससे सरकारी लाभों पर दबाव पड़ेगा। अवैध अप्रवासियों की म्यांमार से सीमा पार करके ‘आदिवासियों’ के रूप में पहाड़ियों में बसने की भी समस्या है, जिन्हें मेइती लोग राज्य की जनसांख्यिकी के लिए खतरा मानते हैं।

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