इंडिया न्यूज, Vadodara News। MD Drugs Factory Caught in Gujrat : वडोदरा में करोड़ों की ड्रग्स पकड़े जाने का मामला सामने आया है। ATS ने प्रतिबंधित MD ड्रग्स बनाने वाली फैक्ट्री को पकड़ा है। वडोदरा जिले के मोक्षी गांव चल रही इस फैक्ट्री से ATS ने 200 किलो ड्रग को जब्त किया है। इस ड्रग्स की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1000 करोड़ रुपए बताई जा रही है।
MD (मेफेड्रोन पार्टी) ड्रग्स क्या होती है?
मिथाइलीनन डाइआक्सी मेथैमफेटामाइन और मेफेड्रोन को कई नामों से बेचा जाता है। लगभग हर देश में इसके कोड नेम हैं। इस ड्रग्स को सूंघकर और पानी में मिलाकर भी लिया जाता है। नशे के बाजार में इस तरह की एक ग्राम ड्रग की कीमत एक हजार से 25000 रुपए तक है। नशा करने वालों के बीच इसके और भी कोड नेम हैं। इसे लेने के बाद दिमाग में नशा चढ़ता है। मदहोशी आती है। ज्यादा मात्रा में एक साथ लेने पर यह जान के लिए खतरा तक बन सकती है।
ATS को मिली थी गुप्त सूचना
ATS के DIG दीपेन भद्रन ने बताया-गुप्त सूचना मिली थी कि वडोदरा की सावली तहसील के पास ड्रग्स का बड़ा जत्था है। एटीएस ने सोमवार को मोक्षी गांव की इस फैक्ट्री में छापा मारा। वहां ड्रग्स का जखीरा तो मिला ही, यह भी पता चला कि केमिकल बनाने की आड़ में एमडी ड्रग तैयार की जा रही थी। इस मामले में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया है।
मुंबई और गोवा में भेजी जाती थी ड्रग्स
डीआईजी दीपेन भद्रन ने बताया कि शुरूआती जांच में पता चला है कि ड्रग्स की सप्लाई गोवा और मुंबई की जा रही थी। एटीएस को शक है कि यहां से देश के दूसरे हिस्सों में भी ड्रग्स भेजी गई है। इस रैकेट में शामिल लोगों के बारे में भी पता लगाया जा रहा है।
6 माह पहले तैयार की गई थी ड्रग्स
डीआईजी भद्रन ने बताया कि जब्त की गई ड्रग्स करीब 6 महीने पहले तैयार की गई थी। इस बात की भी पूरी संभावना है कि एक बार में ही काफी मात्रा में ड्रग्स तैयार की गई हो, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में सप्लाई कर दिया गया हो।
मेफेड्रोन को ‘म्याऊं-म्याऊं ड्रग’ भी कहा जाता है
आपको बता दें कि मेफेड्रोन ड्रग्स को आमतौर पर ‘म्याऊं-म्याऊं’ के नाम से जाना जाता है। रेव पार्टियों में नशे के लिए इसका इस्तेमाल होता है। म्याऊं-म्याऊं का नाइजीरिया और अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है।
पार्टी ड्रग्स के तौर पर इसका भारत में भी इस्तेमाल होने के मामले सामने आ चुके हैं। रेव पार्टी में पहले LSD यानी लिसर्जिक एसिड डायइथाइलअमाइड का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन ड्रग्स के लिए कड़े कानून बनने के बाद MDMA और मेफेड्रोन का नशा ज्यादा प्रचलित है।
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