India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Auto-Taxi Strike: राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो, टैक्सी और कैब सेवा चालकों की हड़ताल का असर दूसरे और आखिरी दिन कम रहा। शुक्रवार को सड़कों पर ऑटो और टैक्सी के साथ कैब सेवाएं भी चालू रहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि कई अन्य संगठन इससे दूर रहे। आम दिनों की तुलना में दिल्ली की सड़कों पर करीब 20 फीसदी कम यात्री वाहन आए। खासकर रेलवे स्टेशनों पर आम दिनों की तुलना में ऑटो-टैक्सी की संख्या कम रही। जिससे वहां यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
कैब कंपनियों के लिए किराया तय करने की मांग
आंदोलनकारी मुख्य रूप से ऐप आधारित कैब प्रदाता कंपनियों द्वारा चालकों के आर्थिक शोषण और निजी दोपहिया वाहनों द्वारा बाइक टैक्सी के अवैध और बेरोकटोक संचालन पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनके अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, यातायात पुलिस की मिलीभगत से 236 प्रतिबंधित सड़कों पर हजारों ई-रिक्शा भी चल रहे हैं। इन सबके कारण ऑटो और टैक्सी चालकों की रोजी-रोटी और रोजगार खत्म होने के कगार पर है, लेकिन वर्षों से लगातार अनुरोध के बावजूद केंद्र और दिल्ली सरकार इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर रही है। ऑटो, टैक्सी और बस जैसी ऐप आधारित कैब कंपनियों के लिए किराया तय नहीं किया जा रहा है।
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चालकों के साथ बदसलूकी
दिल्ली ऑटो टैक्सी ट्रांसपोर्ट कांग्रेस यूनियन ने ‘एग्रीगेटर्स’ से उचित भुगतान को लेकर दो दिवसीय हड़ताल की अपील की थी। यूनियन का आरोप है कि मोटरसाइकिल टैक्सी शुरू होने से ‘कैब’ और ऑटो रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है। दिल्ली-NCR में ऑटो टैक्सी की 15 यूनियनें हड़ताल पर हैं। इस बीच, पूरे दिन दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हड़ताली ऑटो और टैक्सी संगठनों से जुड़े लोगों द्वारा चलती यात्री गाड़ियों में तोड़फोड़, चालकों के साथ मारपीट और बदसलूकी के मामले सामने आए।
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