India News (इंडिया न्यूज़),Bihar Politics: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति में सियासी हलचल तेज हो गई है। वहीं, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह वजह से पार्टी में भगदड़ मची हुई है। पिछले कुछ दिनों से पार्टी में इस्तीफा देने वालों की कतार लग गई है। जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक ललन पासवान ललन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया है।
वहीं,ललन पासवान से पहले डॉ रणवीर नंदनन, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह ने एक ही तरह के आरोप लगाते रहे हैं। आरोप लगे हैं कि ललन सिंह पार्टी को जिस तरह से आरजेडी की ओर ले गए हैं। वह कागज पर भले ही जदयू के अध्यक्ष हैं, लेकिन उनका कामकाज का तरीका पूरी तरह से आरजेडी चलाने जैसा है।
JDU के ‘विभीषण’ साबित होंगे ललन सिंह?
जदयू के उपाध्यक्ष ललन पासवान का पार्टी छोड़ना, आरजेडी से तालमेल और गुंडाराजराज का आरोप लगाते हुए कहना कहना कि दलित सहमे हुए हैं। उन्होंने सारा ठीकरा ललन सिंह पर फोड़ा है। जिस तरह से पार्टी से इस्तीफे हो रहे हैं और ललन सिंह को वजह बताया जा रहा है। इससे तय है कि इसी तरह से इस्तीफा चलता रहा तो आने वाले दिनों में ललन सिंह पर अटैक और बढ़ेगा।
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दरअसल, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि अशोक चौधरी का अपमान ललन सिंह के इशारे पर हुआ है। पार्टी कैडर के बीच उनकी पकड़ है। अशोक चौधरी की बेइज्जती ललन सिंह के इशारे पर हुई है। पिछले दिन ललन सिंह और अशोक चौधरी के बीच विवाद हुआ था। जमुई से अशोक चौधरी को प्रभारी से हटाया गया था। उसके बावजूद वह वहां गए थे। ये सारे फैक्टर ललन सिंह को जेडीयू का विभीषण बनाने पर तुले हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह से सीटों का बंटवारा होता है कि पांच-सात सांसदों को दिख रहा है कि उनकी स्थिति खराब है, तो उन लोगों ने कई मोर्चा खोल रखा है। यदि टिकट की घोषणा होगी और उन्हें टिकट नहीं मिलेगा, तो इससे भगदड़ मचेगी। INDIA गठबंधन में सीटों को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। सभी पार्टियां अलग-अलग मांग कर रही है और सीटों को लेकर घमासान मचना तय है।
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