मुंबई (Bombay high court reject petition related to bullet Train) : बुलेट ट्रेन परियोजना को चुनौती देने वाली याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली गोदरेज एंड बॉयस की याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कह कर ख़ारिज कर दिया कि यह परियोजना देश के लिए जरुरी है।
जस्टिस आरडी धानुका और एमएम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है और भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में कोई अवैधता नहीं पाई गई है। अदालत ने कहा, “परियोजना राष्ट्रीय महत्व और जनहित की है। किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। मुआवजे में कोई अवैधता नहीं पाई गई है।” आदेश में कहा गया है, “याचिकाकर्ता ने हमारे लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करने का मामला नहीं बनाया है। यह सर्वोपरि सामूहिक हित है जो प्रबल होगा न कि निजी हित। परियोजना अपनी तरह की पहली होगी। याचिका खारिज की जाती है।”
264 करोड़ का दिया था मुआवजा
गोदरेज एंड बॉयस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सीरवई ने यथास्थिति की मांग की ताकि कंपनी उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर सके। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे देने से इनकार कर दिया। गोदरेज एंड बॉयस की याचिका ने 15 सितंबर 2022 को डिप्टी कलेक्टर द्वारा ₹264 करोड़ का मुआवजा देने के बाद कंपनी की जमीन के अधिग्रहण के लिए दिए गए मुआवजे के फैसले को चुनौती दी थी।
सरकार ने याचिका का विरोध किया
राज्य अधिग्रहण प्राधिकरण की ओर से पूर्व महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि गोदरेज एंड बॉयस कंपनी के स्वामित्व वाली भूमि को छोड़कर परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा हो गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया था कि गोदरेज एंड बॉयस के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है और इसलिए भूमि के अधिग्रहण को चुनौती देने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।