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सीबीआई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका ख़ारिज की

Roshan Kumar • LAST UPDATED : November 17, 2022, 3:41 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, CBI Court reject Satyendra Jain Bail application): राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन और दो अन्य की जमानत याचिका खारिज कर दी।

प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जैन को 30 मई 2022 को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने आज कहा कि तीनों जमानत याचिकाएं खारिज की जाती हैं और मुख्य मामले में बहस के लिए 29 नवंबर, 2022 की तारीख तय की गई है।

जिरह के दौरान जैन के वकील की ओर से दलील दी गई कि आवेदक से संबंधित जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। आवेदक के विरुद्ध धनशोधन का कोई मामला नहीं बनता है।

2010 का है मामला

वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन और राहुल मेहरा ने प्रस्तुत किया कि यह आरोप है कि साल 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रची गई थी। उस समय न तो जैन विधायक थे और न ही मंत्री। ऐसे में वह मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश कैसे रच सकता है?

यह भी प्रस्तुत किया गया कि चार्जशीट के अनुसार अन्य अभियुक्तों ने स्वीकार किया है कि कथित रूप से लॉन्ड्र किया गया धन उनका है। जैन का इन कंपनियों से कोई लेना-देना नहीं है।

दूसरी ओर ईडी के तरफ से एएसजी ने जमानत याचिका का विरोध किया। एएसजी एसवी राजू ने प्रस्तुत किया कि आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाने के लिए पर्याप्त गवाह और सामग्री हैं।

एएसजी ने कहा कि आरोपी अन्य आरोपियों के साथ मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल था। उसने कोलकाता की कंपनियों को पैसा भेजा और वह पैसा जैन का है। वह साजिशकर्ता और सरगना है।

4.81 करोड़ रुपये लेने का आरोप

ईडी ने तिहाड़ जेल में सत्येंद्र जैन को दिए गए स्पेशल ट्रीटमेंट का मुद्दा भी उठाया। उसे विशेष खाना मुहैया कराया जा रहा है और अनजान लोगों से उसकी मसाज कराई जा रही है। ईडी ने कहा कि ज्यादातर समय वह या तो अस्पताल में रहता है या जेल में इन सुविधाओं का आनंद लेता है।

ईडी ने आरोप लगाया है कि जिन कंपनियों पर जैन का “लाभप्रद स्वामित्व और नियंत्रण” था, उन्होंने शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की प्राप्त कीं, जो हवाला के माध्यम से कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद हस्तांतरित की गईं।

ईडी का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की थी, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके।

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