इंडिया न्यूज, New Delhi News। Vaccine of Monkeypox : मंकीपाक्स पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है और वैक्सीन बनाने के लिए टेंडर भी निकाल दिया है। बता दें कि देश में अबतक मंकीपाक्स के 5 मामले केस मिल चुके हैं। वहीं 78 देश अब तक मंकीपाक्स की चपेट में आ चुके हैं। दुनियाभर में अबतक कुल 18 हजार मामले मंकीपाक्स के मिल चुके हैं।
जानकारी अनुसार मंकीपाक्स की वैक्सीन बनाने के लिए सरकार एक्सप्रेशन आफ इंटरस्ट या कहें टेंडर लेकर आई है। ये एङ्मक मंकीपॉक्स की वैक्सीन बनाने, उसका पता लगाने (जांच करने) वाली किट के लिए निकाला गया है।
इच्छुक दवा कंपनी 10 अगस्त तक EoI जमा कर सकती हैं
बता दें कि केंद्र सरकार यह EoI पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में लाई है। इसमें मंकीपाक्स वैक्सीन, जांच किट बनाई जानी है। अब इच्छुक दवा कंपनी 10 अगस्त तक EoI जमा कर सकती हैं। हालांकि मंकीपाक्स की वैक्सीन पहले से भी मौजूद है।
दुनियाभर में 78 देश मंकीपाक्स की चपेट में
बता दें कि दुनियाभर में 78 देश मंकीपॉक्स की चपेट में आ चुके हैं। इन देशों में मंकीपाक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले मिले हैं। इसमें से 70 प्रतिशत केस यूपोरियन क्षेत्रों से हैं। वहीं 25 प्रतिशत केस अमेरिकी रीजन वाले हैं। दुनिया में मंकीपाक्स की वजह से अबतक 5 मौतें भी हो चुकी हैं। इसके अलावा कुल केसों में से 10 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
संक्रमित के सम्पर्क में आने और उसके कपड़ों से भी फैल सकता है मंकीपाक्स
विशषज्ञों का मानना है कि शारीरिक संबंधों के अलावा मंकीपाक्स क्लोज कान्टैक्ट रहने से भी फैल सकता है। जैसे किसी को गले लगाने, किस करने से भी यह हो सकता है। इसके साथ-साथ संक्रमित तौलिये और बेडशीट आदि से भी मंकीपाक्स हो सकता है।
टारगेटिड वैक्सीनेशन होनी चाहिए : WHO
वैक्सीन को लेकर वर्ल्ड हेल्थ आगेर्नाइजेशन का कहना है कि मंकीपाक्स के लिए टारगेटिड वैक्सीनेशन होनी चाहिए। यानि जिनको इससे ज्यादा खतरे के चांस हैं उनको टीका लगना चाहिए।
इसमें हेल्थ वर्कर्स, लैब वर्कर्स और एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर वाले लोग शामिल हैं। वर्ल्ड हेल्थ आगेर्नाइजेशन का कहना है कि सबको मंकीपाक्स का टीका लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इन वैक्सीन्स का किया जा रहा इस्तेमाल
बता दें कि वैसे तो मंकीपाक्स की वैक्सीन पहले से है। स्मालपाक्स की एक वैक्सीन MVA-BN को मंकीपाक्स से बचने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
कनाडा, यूरोपियन यूनियन और अमेरिका में इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा LC16 और ACAM 2000 वैक्सीन को भी मंकीपाक्स के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।
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