इंडिया न्यूज, New Delhi News। RTI Act : आरटीआई के तीन आवेदनों को लेकर दिए गए जवाब के संबंध में सीआईसी (केंद्रीय सूचना आयोग) ने चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक के इस्तेमाल पर आरटीआई में पूछे गए सवालों का गलत जवाब देने पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा है कि जवाब में कानूनी खामियां हैं। जबा यह पता चलता है कि दिमाग का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है।

आयोग ने मांगा संशोधित जवाब

बता दें कि आयोग ने अब दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि जांच में चेहरे का पता लगाने वाली तकनीक के उपयोग, तकनीक की सटीकता दर, तुलना के लिए संदर्भित डेटाबेस और क्या इसका उपयोग उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे की जांच सहित अन्य मामलों किया गया था या नहीं आदि के बारे में जानने के लिए आरटीआई आवेदनों पर संशोधित जवाब दिया जाए।

अनुष्का जैन ने आरटीआई अधिनियम के तहत मांगी थी जानकारी

जानकारी अनुसार यह मामला अनुष्का जैन द्वारा दायर सूचना के अधिकार अधिनियम के 3 आवेदनों से संबंधित है। जिसमे पुलिस द्वारा मामलों की जांच और ट्रैफिक मैनेजमेंट में प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में जानकारी मांगी गई थी।

वहीं दिल्ली पुलिस ने आरटीआई कानून की एक धारा का हवाला देते हुए सूचना देने से मना कर दिया, जो वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा से संबंधित किसी भी रिकार्ड के प्रकटीकरण और ऐसी चीजों के प्रकटीकरण से छूट देती है जिससे किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धी स्थिति को नुकसान पहुंचे।

मुख्य सूचना आयुक्त वाई.के. सिन्हा ने दी सावधानी बरतने की चेतावनी

वहीं मुख्य सूचना आयुक्त वाई.के. सिन्हा ने अपने फैसले में कहा कि सभी तात्कालिक मामलों में प्रतिवादी लोक प्राधिकरण (दिल्ली पुलिस) द्वारा आरटीआई अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को गलत रूप से लागू किए जाने के मद्देनजर, पीआईओ को भविष्य में आरटीआई आवेदनों से निपटने में सावधानी बरतने की चेतावनी दी जाती है।

वाई.के. सिन्हा ने दिया यह तर्क

सिन्हा ने कहा कि आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(डी) के प्रविधान को सूचना से वंचित करने के लिए लागू नहीं किया जाना चाहिए था क्योंकि इससे किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धी स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।

इस प्रकार, लोक सूचना अधिकारी द्वारा दिए गए उत्तर तथा इन्हें गलत तरीके से बहाल रखने का प्रथम अपील अधिकारी का आदेश कानूनी कमजोरियों से ग्रस्त है और संकेत देता है कि पीआईओ या एफएए द्वारा दिमाग का कोई इस्तेमाल नहीं किया गया।

सटीक सूचना उपलब्ध करवाने के दिए निर्देश

जैन ने पुलिस से यह भी जानना चाहा था कि क्या तकनीक का उपयोग शुरू करने से पहले कोई गोपनीयता प्रभाव मूल्यांकन किया गया था। सीआईसी ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरटीआई अधिनियम के सही प्रविधानों के तहत सटीक सूचना उपलब्ध कराए।

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