होम / जज्बे को सलाम: लाखों के लिए मिसाल बनी चंडीगढ़ की पहली व्हीलचेयर डिलीवरी वूमेन बिहार की विद्या

जज्बे को सलाम: लाखों के लिए मिसाल बनी चंडीगढ़ की पहली व्हीलचेयर डिलीवरी वूमेन बिहार की विद्या

Naresh Kumar • LAST UPDATED : October 19, 2022, 6:01 pm IST
  • हादसे के बाद विद्या लगभग 11 साल तक बेड पर रहकर भी नहीं हारी हिम्मत

इंडिया न्यूज, Chandigarh News। Wheelchair Delivery Women: किसी ने सच कहा है, ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’। चंडीगढ़ में रहकर कुछ इस तरह का ही काम कर रही हैं बिहार के समस्तीपुर की 33 वर्षीय विद्या। इस महिला की कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है। शारीरिक दिव्यांगता होने के बाद भी वह फूड डिलीवरी जैसा मुश्किल काम करती हैं। यह काम करके आज विद्या लाखों लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं। उनके इसी जज्बे व जुनून ने उन्हें चंडीगढ़ की पहली व्हीलचेयर डिलीवरी वूमेन बनाया है।

साइकिल चलाते समय गिर गई थी पुल से निचे

विद्या बताती हैं कि साल 2007 में गांव में साइकिल चलाते समय बैलेंस बिगड़ गया था, जिस कारण वह पुल के नीचे गिर गई। जब उसे होश आया तो अपने आप को अस्पताल में पाया। विद्या ने कहा, इसके बाद मुझे पता चला कि अब मैं कभी सीधे खड़ी नहीं हो पाऊंगी। मां-बाप ने मेरे इलाज के लिए खूब दौड़ धूप की, लेकिन किसी डॉक्टर ने उन्हें फिर से चल सकने के काबिल होने का आश्वासन नहीं दिया।

11 साल तक रहीं बेड पर

उन्होंने कहा, वक्त के साथ मेरी हिम्मत ने भी जवाब दे दिया और मेरे लिए मेरा बिस्तर ही मेरी दुनिया बन गया। हादसे के बाद विद्या लगभग 11 साल तक बेड पर ही रही। काफी समय तक बेड पर रहने के कारण विद्या को प्रेशर अल्सर भी हो गए थे। अब भी उन्हें बेडसोरस से काफी परेशानी होती है।

चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब सेंटर ने बदली जिंदगी

विद्या को उसके किसी जानकार ने चंडीगढ़ स्पाइनल रिहैब सेंटर के बारे में बताया। इसके बाद उनके परिवार ने रिहैब सेंटर से संपर्क किया और वह 2017 में चंडीगढ़ आ गई। यहां सबसे पहले उनका बेडसोल का आॅपरेशन किया गया। इसके बाद उन्हें इस हालत में जीने के लिए रिहैब किया। विद्या ने यहां सेंटर के अन्य साथियों को देखा तो विद्या की भी जीने की इच्छा बढ़ गई।

कई गेम्स खेलती हैं, राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस

विद्या ने बताया कि उन्होंने रिहैब सेंटर ज्वाइन करने के बाद बास्केट बाल, स्विमिंग, लान टेनिस और टेबल टेनिस खेलना शुरू किया। उन्होंने कहा, मैंने स्कूबा डाइविंग और फैशन शो में हिस्सा लिया। इसके अलावा मैं अपने सेंटर में भी सभी को योग सिखाती हूं।

‘टेबल टेनिस की तो मैं नेशनल खिलाड़ी हूं’

टेबल टेनिस की तो मैं नेशनल खिलाड़ी हूं, लेकिन कोचिंग की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से मैं इस खेल में आगे नहीं बढ़ पा रही हूं। विद्या अब राष्ट्रीय स्तर पर टेबल टेनिस भी खेलती हैं। विद्या ने बताया कि अब उसके आत्मनिर्भर बनने और जॉब लगने पर माता-पिता बेहद खुश हैं। 11 सालों तक उन्होंने बहुत सेवा की और लोगों के ताने भी सहे।

Also Read: यूएन में भारत-अमेरिका की राह में फिर रोड़ा बना चीन

Also Read: कोविड के नए वैरिएंट ने बढ़ाई सरकार की परेशानी, कई राज्यों में जारी हुई एडवाइजरी  

Tags:

Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.