इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सेना ने अपने सैनिकों के घुसपैठ की खबरों को नकार दिया है। भारत की तरफ से मंगलवार को इस मुद्दे पर लगातार बयान सामने आए। संसद में भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्थिति स्पष्ट की। इसके बाद चीन ने भी अपना मुंह खोला है। पहले चीनी राजनयिकों ने झड़प की बात मानी और कहा कि अब हालात स्थिर हैं और दोनों पक्षों ने कूटनीतिक वार्ता से मामला सुलझा लिया है, लेकिन मंगलवार शाम को चीनी सेना के हवाले से AFP न्यूज एजेंसी ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने हिमालय में विवादित सीमा को अवैध तरीके से पार किया था। पिछले सप्ताह चीनी सैनिकों ने जब उन्हें ऐसा करने से रोका तो दोनों पक्षों के बीच एक ताजा गतिरोध पैदा हो गया है। चीनी सेना के इस बयान को अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिणी तिब्बत’ बताए जाने के उनके दावे से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसके तहत वह इस राज्य पर भारत का अवैध कब्जा बताता रहता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी सेना के 200 सैनिकों ने 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांगत्से में घुसपैठ की। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका, जिस पर दोनों पक्षों में हाथापाई हो गई। चीनी सैनिकों ने तार लिपटे कंटीले बेसबॉल बैट आदि से हमला किया, जिसका भारतीय जवानों ने जवाब दिया। दोनों तरफ से सैनिक घायल हुए हैं। भारतीय सेना ने 6 जवानों के घायल होने की जानकारी दी है, जिन्हें गुवाहाटी के बशिष्ठ इलाके में 151 बेस हॉस्पिटल में इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया है। चीनी सेना ने अपने सैनिकों के घायल होने की ऑफिशियल पुष्टि नहीं की है। भारतीय सेना के एडजुटेंट जनरल लेफ्टिनेंट जनरल सीबी पोनप्पा ने मंगलवार को कहा कि हालात अब नियंत्रण मैं हैं। दोनों तरफ से सैनिकों को माइनर इंजरी हुई है।
केंद्र सरकार ने बताया कि विवाद के बाद दोनों पक्षों ने तत्काल एरिया खाली कर दिया। घटना के बाद पहले से तय मैकेनिज्म के तहत हमारे एरिया कमांडर अपने चीनी समकक्ष के साथ इस मुद्दे पर फ्लैग मीटिंग कर रहे हैं ताकि शांति और स्थिरता कायम रह सके। सरकार ने कहा, तवांग सेक्टर में LAC पर कुछ इलाकों में स्थानीय कारकों के कारण दोनों पक्ष दावा करते हैं और इन इलाकों में गश्त भी करते हैं। यह ट्रेंड साल 2006 से चला आ रहा है।
तवांग सेक्टर में दोनों पक्षों के बीच हुई हाथापाई पूर्वी लद्दाख में साल 2020 में शुरू हुए गतिरोध में करीब 24 महीने में पहला गंभीर मामला है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के घुसपैठ करने के बाद गलवान घाटी में टकराव के दौरान दोनों तरफ के सैनिक मारे गए थे। इसके बाद आखिरी बार अगस्त 2020 में पूर्वी लद्दाख के रिचेंन ला इलाके में दोनों पक्षों में गंभीर भिड़ंत हुई थी। यांगत्से के करीब पिछले साल अक्टूबर में भी भारत और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे, लेकिन वह मामूली भिड़ंत थी, जिसे दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों ने बातचीत से सुलझा लिया था।
चीनी सेना ने तवांग सेक्टर में अपने ड्रोन विमानों के जरिये भारतीय सेना की टोह लेने की भी कोशिश की। ये घटना भी 9 दिसंबर को चीनी सेना की घुसपैठ से पहले की बताई जा रही है। हालांकि भारतीय चौकियों की तरफ बढ़ रहे इन ड्रोन्स को भारतीय Su-30MKI फाइटर जेट्स ने तत्काल एक्टिव होते हुए कड़ा जवाब दिया और वापस खदेड़ दिया।
जानकारी दें, तवांग सेक्टर के यांगत्से इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने बड़ी चेतावनी दे दी है। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा, यह 1962 का भारत नहीं है। अगर किसी ने सीमा में घुसने का दुस्साहस किया तो उसे करारा जवाब मिलेगा। हमारी वीर भारतीय सेना ईंट का जवाब पत्थर नहीं लोहे से दे रही है। खांडू ने कहा, झड़प वाला इलाका मेरे विधानसभा क्षेत्र में आता है। मैं हर साल इस इलाके में सेना के जवानों और ग्रामीणों का हौसला बढ़ाता हूं।
संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूरे मामले की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, चीनी सेना ने तवांग सेक्टर में घुसपैठ के जरिये यथास्थिति बदलने की कोशिश की। इसका भारतीय जवानों ने करारा जवाब देते हुए उन्हें वापस खदेड़ दिया है। उन्होंने कहा, इस झड़प में दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए हैं, लेकिन किसी भी भारतीय जवान को कोई गंभीर चोट नहीं लगी और ना ही किसी की शहादत हुई है।
चीनी सैनिकों की घुसपैठ को लेकर भारत के बयान पर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मं भारत से लगी सरहद पर हालात स्थिर हैं। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में LAC पर हालात कंट्रोल में है। मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत के साथ सैन्य और डिप्लोमेटिक लेवल पर वार्ता चल रही है।
तवांग में चीनी घुसपैठ को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी-भारत बॉर्डर पर तवांग में हुई भिड़ंत को लेकर संसद में जो बयान दिया है, वह अधूरा है। कांग्रेस ने सरकार पर देश से सच्चाई छिपाने का आरोप लगाया है। AICC महासचिव जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस सीमा पर चीनी हरकतों को लेकर सरकार को जगाने की कोशिश करती रही है, लेकिन मोदी सरकार अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस पर चुप्पी साधे हुए है।
AIMIM अध्यक्ष व हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कमजोर राजनीतिक नेतृत्व’ होने का आरोप लगाया, जो चीन के खिलाफ भारतीय शोषण को बढ़ावा दे रहा है।
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