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युद्ध की ओर बढ़ रहे चीन के कदम, 100 से अधिक लड़ाकू और वाईयू-20 जैट किए तैनात, अमेरिका ने दी यह प्रतिक्रया…

इंडिया न्यूज, New Delhi News। China-Taiwan Dispute : जैसा कि आप जानते ही हैं कि हाल ही में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था। नैंसी के इस दौरे से चीन ने पहले ही अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी। लेकिन फिर भी नैंसी ने अपना फैसला नहीं बदला और ताइवान का दौरा किया। जिसके बाद से ही चीन आगबबूला है। यही कारण है कि चीन ने अपना सैन्य अभ्यास छेड़ा हुआ है।

तेज किया सैन्य अभ्यास

जानकारी अनुसार चीन ने अब ताइवान के आसपास के इलाके में अपने सैन्य अभ्यास को और तेज कर दिया है। ताइवान के आसपास चीन ने अपने 100 से अधिक युद्धक विमान तैनात कर दिए हैं। इसके साथ-साथ उसने अपने नई पीढ़ी के हवा में फ्यूल भरने वाले वाईयू-20 विमान को तैनात कर दिया है।

अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान का सैन्य अभ्यास रोकने का आग्रह

वहीं चीन के इस तेज होते सैन्य अभ्यास को देखते हुए अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने चीन से अपने सैन्य अभ्यास को तुरंत बंद करने का आग्रह किया है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबाल टाइम्स की ओर से ट्वीट किए गए वीडियो में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि कैसे चीनी सेना ताइवान के आसपास अपना पैर जमा रही है और सैन्य गतिविधियों को अंजाम दे रही है।

नई पीढ़ी के विमान भी सैन्य अभ्यास में शामिल

ताइवान के साथ तनाव के बीच चीन की ओर से जारी किए गए वीडियो का मुख्य एजेंडा चीन की सैन्य ताकत को दिखाना है। युद्धक विमानों से लेकर नई पीढ़ी के विमानों के शामिल किए जाने तक, संयुक्त नाकाबंदे अभ्यास ताइवान के लिए एक चेतावनी जैसा है। ताइवान पर बीजिंग पहले से ही अपना हक होने का दावा करता आ रहा है

तट से 20 किलोमीटर दूर किए जा रहे मिसाइल हमले

चीन का कहना है कि उसने ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में युद्धक विमानों, नौसेना के जहाजों और मिसाइल हमलों से जुड़े अभ्यास शुरू कर दिए हैं। वे द्वीप के तट से 20 किलोमीटर (12 मील) की दूरी पर स्थित हैं, जो संभावित रूप से ताइवान के जल क्षेत्र का उल्लंघन करते हैं।

पेलोसी पर लगाया ‘एक चीन नीति’ के उल्लंघन का आरोप

 

आपको बता दें कि इस विवाद के शुरू में ही चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी यात्रा ने ‘एक चीन नीति’ का उल्लंघन किया है। क्योंकि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। इसलिए चीन ने साफ शब्दों में धमकी दी है कि वह जरूरत पड़ने पर बलपूर्वक इस द्वीप को अपने कब्जे में ले लेगा।

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Naresh Kumar

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