इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ का कोशिश के बाद हुए झड़प को लेकर विपक्षी दल समेत कॉन्ग्रेस ने सदन में हंगामा कर दिया। सवाल ये है कि कॉन्ग्रेस खुद चीन से चंदा लेने, गुप्त समझौते करने और वरिष्ठ अधिकारियों से गुपचुप मुलाकात करने के मामले में घिर चुकी है। ऐसे में कॉन्ग्रेस को इन बिंदुओं पर जवाब दिए बिना, सरकार को सीधे कठघड़े में खड़ा करना, अपने आप में कई सवाल पैदा करता है।
जानकारी दें, तवांग मुद्दे को लेकर कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने सदन में कहा कि अगर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो वे कुर्सी छोड़ दें। हालाँकि, सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने स्पष्ट कर दिया कि चीन की घुसपैठ नाकाम हुई है और वह भारत की इंच भूमि पर भी कब्जा करने में नाकाम रहा है। भारत सरकार के आश्वासन के बाद भी कॉन्ग्रेस नेता सदन में हंगामा करते रहे।
इसके बाद सदन में जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि कॉन्ग्रेस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के कारण चीन ने भारत की हजारों किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। कॉन्ग्रेस के कारण भारत को संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता नहीं मिली। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2005 से 2007 के बीच राजीव गाँधी फाउंडेशन के जरिए पार्टी ने चीन से 1.35 करोड़ रुपए चंदा लिए। इतना ही नहीं, भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड (PMNRF) का पैसा डायवर्ट करके राजीव गाँधी फाउंडेशन यानी RGF को दिया गया था। भाजपा ने इसके लिए साल 2005-06 और 2007-08 की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला दिया।
जानकारी दें, राजीव गाँधी फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गाँधी हैं। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी और पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम इसमें ट्रस्टी रहे हैं। इस दौरान इस फाउंडेशन को भरपूर पैसा मिलता रहा। RGF का रजिस्ट्रेशन सामाजिक कार्यों के लिए करवाया गया था। दूसरी तरफ चीनी दूतावास ने भारत-चीन संबंधों पर शोध लिए पैसा दिया गया था। इतना ही नहीं, RGF कट्टरपंथी इस्लामी जाकिर नाइक का इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से 50 लाख रुपए मिले थे। इन सब तमाम कारणों से सरकार ने RGF का FCRA लाइसेंस कर दिया।
कॉन्ग्रेस भले ही तवांग के नाम पर चीन का मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश करे, लेकिन कॉन्ग्रेस, राहुल गाँधी एवं इसके अन्य नेताओं के चीन के साथ नजदीकियाँ जगजाहिर हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम तो दो कदम आगे बढ़ गए।
कार्ति चिदंबरम ने साल 2011 में 263 चीनी नागरिकों को वीजा जारी कराने के बदले 50 लाख रुपए की घूस ली थी। इस मामले की जाँच सीबीआई कर रही है। जिस समय चीनी नागरिकों को वीजा जारी किया गया था, उस समय कार्ति चिदंबरम के पिता पी. चिदंबरम केंद्रीय गृहमंत्री थे।
इसी साल मई में कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी पर नेपाल की राजधानी काठमांडू के एक नाइटक्लब में नेपाल की चीन की राजदूत होउ यांकी से मुलाकात करने की बात सामने आई थी। इतना ही नहीं, जब देश में डोकलाम विवाद चल रहा था, जब राहुल गाँधी चीन के अधिकारियों से साथ मुलाकात की थी। उस वक्त यह मुद्दा भारतीय राजनीति में एक अहम मुद्दा बना था।
पहली मीटिंग 2017 में हुई थी, जब उन्होंने चीनी राजदूत लुओ झाओहुई के साथ उस समय बैठक की थी। उस समय भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद छिड़ा था। इस बैठक के संबंध में पहले तो कॉन्ग्रेस ने साफ इंकार कर दिया था, लेकिन जब चीन की एंबेसी ने खुद इसका खुलासा किया तो कॉन्ग्रेस को इस मुद्दे पर काफी जिल्लत झेलनी पड़ी थी। यह बैठक विशेष रूप से संदिग्ध इसलिए भी थी, क्योंकि उस समय कॉन्ग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध पर अपने रुख पर कायम थे। उस दौरान राहुल गाँधी भारत सरकार का सात खड़े होने के बजाय वे भारत सरकार पर लगातार तीखे हमले कर रहे थे।
इसके बाद कैलाश मानसरोवर मामले पर चीन के नेताओं से हुई गुप्त बैठक के बारे में तो राहुल गाँधी ने खुद ही खुलासा कर दिया था। राहुल उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जिसके कारण उनका इस तरह चीन अधिकारियों व नेताओं से बैठक करने ने कई सवाल खड़े कर दिए थे।
इसी तरह जून 2020 में सीमा विवाद शुरू होने के बाद कॉन्ग्रेस और चीन के बीच कई गुप्त समझौतों होने का खुलासा हुआ था। यह समझौता 7 अगस्त 2008 को सोनिया गाँधी की अगुवाई वाली कॉन्ग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुआ था। जिस वक्त यह समझौता हुआ था, उस दौरान राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी भी उपस्थिति थे। चीन की ओर से इस समझौते पर चीन के वर्तमान प्रधानमंत्री शी जिनपिंग ने हस्ताक्षर किया था। उस समय जिनपिंग पार्टी के उपाध्यक्ष थे।
साल 2008 में सोनिया गाँधी अपने बेटे राहुल, बेटी प्रियंका, दामाद रॉबर्ट वाड्रा और दोनों के बच्चों को साथ लेकर ओलंपिक खेल देखने पहुँची थीं। इसके अलावा उन्होंने और राहुल गाँधी ने चीन में कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था।
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