इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग में सैनिकों के बीच संघर्ष हुआ है। इस झड़प में दोनों देशों के कई सैनिक घायल हुए हैं। दोनों देशों की ओर से बयान जारी किया गया है कि अब सीमा पर स्थिति शांतिपूर्ण है। ज्ञात हो, बीते कुछ सालों में दोनों देशों के बीच आधा दर्जन से ज़्यादा बार तनाव की स्थिति बन चुकी है। बावजूद इसके दोनों देशों के बीच कारोबार लगातार बढ़ रहा है। जानकारी दें, एक तरफ सीमा पर विवाद तो दूसरी तरफ व्यापार जारी है। मालूम हो ,एक साल में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत के ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों के बावजूद चीन से लगातार आयात और निर्यात हो रहा है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 3,560 कंपनियां ऐसी हैं जिनके बोर्ड में चीनी डायरेक्टर हैं। देश में 174 चीनी कंपनियां भी काम कर रहे हैं। कॉरपोरेट मामलों के राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने संसद में बताया है कि भारत और चीन के व्यापारिक संबंध अभी भी मजबूत है। भारत सरकार के ही कई मंत्री चिंता जता चुके हैं कि बहुत सारी चीजों के लिए भारत अभी भी चीन पर निर्भर है।
विवाद के बीच 20 साल में 24 गुना बढ़ गया कारोबार
चीन और भारत के बीच आयात और निर्यात की बात करें तो भारत यहां भी पीछे है। जितना सामान भारत से चीन जाता है उससे कई गुना ज़्यादा सामान चीन से भारत आता है। ज्ञात हो, साल 2022-21 में चीन से 65.21 अरब डॉलर का सामान भारत आया था। साल 2021-22 में यह आयात 95.57 अरब डॉलर तक पहुंच गया। साल 2003-04 में यही आयात लगभग 4.34 अरब डॉलर ही था। ये आंकड़े दिखाते हैं कि तमाम दावों के बावजूद चीन पर हमारे देश की निर्भरता बढ़ती जा रही है।
मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के बावजूद भी चीन पर निर्भरता बरक़रार
ज्ञात हो, चीन के विस्तार को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने चीनी निवेश पर रोक लगाई, सैकड़ों चीनी मोबाइल ऐप भी बैन किए। मौजूदा समय में चीन, भारत से पेट्रोलियम, कार्बनिक रसायन, मसाले, वनस्पति तेल, रिफाइंड कॉपर और लौह अयस्क जैसी तमाम चीजों का आयात करता है। वहीं भारत, चीन से दवाएं, उर्वरक, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कई उत्पादों के लिए कच्चा माल मंगवाता है।