इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Delhi Highcourt says Career in journalism does not require any specifice degree): दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के महानिदेशक (डीजी) के रूप में प्रोफेसर संजय द्विवेदी की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एक अपील को खारिज करते हुए कहा की पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए कोई खास डिग्री की जरुरत नही है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील खारिज करते हुए कहा ,”… चिकित्सा या कानून के विपरीत, पत्रकारिता में करियर बनाने के लिए किसी विशिष्ट योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।”

2020 में हुई थी नियुक्ति

संजय द्विवेदी को जुलाई 2020 में IIMC का डीजी नियुक्त किया गया था। हालांकि, उनकी नियुक्ति को डॉ आशुतोष मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने चुनौती दी थी और कहा था की उनके पास पद के लिए आवश्यक योग्यता नहीं थी, और उनके खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक मामलों के आरोप लंबित हैं। याचिका को हाईकोर्ट एकल-न्यायाधीश ने नवंबर 2020 में खारिज कर दिया था।

याचिका में कहा गया था कि द्विवेदी के पास डीजी बनने के लिए पर्याप्त अनुभव नही है। पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर डिग्री के अलावा, वरिष्ठ पदों पर प्रशासनिक अनुभव के साथ पत्रकारिता/फिल्म/मीडिया के क्षेत्र में न्यूनतम 25 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक है। वही संजय द्विवेदी के पास 25 साल की न्यूनतम आवश्यकता के मुकाबले केवल 23 साल का अनुभव था।

एकल पीठ का फैसला सही माना गया

डिवीजन बेंच ने कहा कि एकल-न्यायाधीश के फैसले में कहा गया है कि संस्थान की तरफ से निकाले गए विज्ञापन में कही न्यूनतम अनुभव के बारे में नही लिखा और आवेदन करने वाले व्यक्ति के कार्य अनुभव की गणना केवल मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद ही की जा सकती है।

इस अनुसार, IIMC द्वारा जारी 13 जून, 2019 के विज्ञापन के साथ द्विवेदी के बायोडाटा को पूरा पढ़ने पर, न्यायालय ने माना कि द्विवेदी की नियुक्ति निर्धारित नियमों का उल्लंघन नहीं थी। अत:अपील खारिज की जाती थी।

कुल 11 वकील पेश हुए

मिश्रा की ओर से अधिवक्ता एनएस दलाल, जेबी मुदगिल, देवेश प्रताप सिंह और आलोक कुमार पेश हुए। प्रतिवादियों की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी , अधिवक्ता प्रशांत कुमार, श्रुति अग्रवाल, कार्तिक डे, जान्हवी प्रकाश, विजय जोशी और अनुभव कुमार के साथ पेश हुए।

इस केस को डॉ आशुतोष मिश्रा बनाम भारतीय जनसंचार संस्थान और अन्य के रूप में जाना गया।