इंडिया न्यूज, New Delhi News। China-Taiwan War : चीन का एक जहाज श्रीलंका के बंदरगाह की पर तैनात होने के लिए रवाना हो गया है। वहीं भारत ने इसको लेकर आपत्ति जाहिर की थी। बावजूद इसके श्रीलंका की ओर से इसे रोका नहीं गया है।
आपको बता दें कि अमेरिका की हाउस स्पीकर के ताइवान दौरे के बाद से चीन आगबबूला है। चीन की सेना सैन्य अभ्यास में लगी हुई है। उधर भारत के दक्षिणी राज्यों से करीब श्रीलंका के हंबन्टोटा पोर्ट पर चीन के ऐसे जहाज का जाना जो कि मिसाइल ट्रैकिंग में अग्रणी है, भारत के लिए चिंता का विषय है।
400 से ज्यादा चीनी सैनिक मौजूद हैं जहाज पर
मिली जानकारी अनुसार चीन का यह जहाज 11 या 12 अगस्त तक श्रीलंका के पोर्ट पर पहुंच जाएगा। इस शिप पर 400 से ज्यादा सैनिक मौजूद हैं और यह पैराबोलिक ट्रैकिंग एंटीना और सेंसर्स से लैस है।
क्यों श्रीलंका ने भारत की बात नहीं मानी?
वहीं भारत की आपत्ति के बावजूद श्रीलंका ने इस जहाज को पोर्ट पर आने से रोका नहीं है। जबकि आर्थिक संकट से घिरे श्रीलंका की भारत ने खूब मदद की है। इस बात को श्रीलंका भी स्वीकार करता है। वहीं चीन की बात करें तो संकट के इस दौर में वह संवेदना का एक बयान देने से भी कतराता है। ऐसे में श्रीलंका की कई मजबूरियां भी हैं।
चीन के भारी कर्ज के नीचे दबा है श्रीलंका
बता दें कि श्रीलंका चीन के भारी कर्ज के नीचे दबा हुआ है। श्रीलंका यह कहता रहा है कि वह इस पोर्ट का इस्तेमाल सैन्य गतिविधियों के लिए नहीं होने देगा। लेकिन मजबूरी यह है कि श्रीलंका ने 2017 में ही इस पोर्ट को पट्टे पर चीन को दे दिया था।
भारत की मिसाइल को ट्रैक कर सकता है चीन
भारत की चिंता की वजह यह है कि हिंद महासागर में चीनी जहाज तैनात होने के बाद वह ओडिशा के तट पर होने वाले मिसाइल टेस्ट को ट्रैक कर सकता है। अगर वह ऐसा करता है तो चीन भारत की बलिस्टिक मिसाइल की क्षमता और अन्य जानकारियों जुटा सकता है।
इसके अलावा दक्षिणी राज्यों से करीबी की वजह से यह केरल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु पर भी नजर रख सकता है। यह जहाज सात दिन तक इस पोर्ट पर रहने वाला है। इस अवधि में वह भारत से संबंधित कई अहम जानकारियों जुटा सकता है।
करीब से रखी जाएगी नजर : अरिंदम बागची
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि चीन का जहाज श्रीलंका के पोर्ट पर जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थितियों पर करीब से नजर रखी जाएगी।
वहीं श्रीलंका की सरकार का कहना है कि उसे भारत की आपत्ति की जानकारी है। उसने कहा कि पहले भी अन्य देशों को भी इस तरह की इजाजत दी गई है। चीन ने यही कहा है कि हिंद महासागर में निगरानी के लिए यह जहाज भेजा जा रहा है।
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