इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और भारतीय बाजारों से लगातार बाहर निकल रही विदेशी पूंजी के कारण रुपया बुधवार को 61 पैसे टूटकर इतिहास में पहली बार 83 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 83.01 के स्तर पर बंद हुआ है। आपको बता दें, मंगलवार को भी रुपये में गिरावट आई थी और ये 10 पैसे टूटकर 82.40 के स्तर पर बंद हुआ था। दूसरी ओर डॉलर और मजूबत होकर 112.48 के स्तर पर पहुंच गया है।
जानकारी हो, हाल ही में जब रुपए की गिरावट पर वित्त मंत्री से सवाल किया गया था तो देश की वित्त मंत्री ने रुपये में आ रही गिरावट को लेकर कहा था कि वे इसे डॉलर की मजबूती के रूप में देखती हैं। जिसके बाद उनके इस बयान को लेकर काफी आलोचना हुई थी। ज्ञात हो, इस साल जनवरी से अब तक भारतीय रुपया 9 फीसदी से अधिक गिर चुका है।
रुपये में गिरावट से क्या पड़ता है प्रभाव
जानकारी हो, रुपये के कमजोर होने से भारत विदेशी मुद्रा भंडार पर असर होता है। आरबीआई को जब लगता है कि रुपया बहुत नीचे जा रहा है तो वह डॉलर बेचना शुरू कर देता है जिसमें हमारा फॉरेक्स रिजर्व घटता है। इतना ही नहीं अधिकांश आयात डॉलर में ही किया जाता है और रुपये के कमजोर होने से एक्सचेंज रेट पर फर्क पड़ता है जिससे आयात महंगा होता है। जिसका सीधा असर यहां आम लोगों पर होता है।
बाजार में बढ़ती है तेजी
रुपये में गिरावट के उलट शेयर बाजार में लगातार कुछ सत्रों से तेजी बनी हुई है। आज भी सेंसेक्स 146 अंक चढ़कर 59107 के स्तर पर और निफ्टी 25 अंक की तेजी के साथ 17512 के स्तर पर बंद हुआ। ज्ञात हो, यह लगातार चौथा सत्र है जब शेयर मार्केट बढ़त के साथ बंद हुआ। इसको लेकर जियोजीत फाइनेंशियल सर्विस के हेड ऑफ रिसर्चर विनोद नायर ने कहा कि अमेरिकी बाजार में बेहतक कॉर्पोरेट आंकड़ों के चलते आई मजबूती का लाभ घरेलू मार्केट को भी मिल रहा है। इसके साथ ही सस्ते कच्चे तेल ने भी भारत निवेशकों आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
कच्चे तेल की कीमतें का हाल
रुपये में गिरावट के बीच सुकून देने वाली बात ये है कि कच्चे तेल की कीमतों में बहुत अधिक तेजी देखने को नहीं मिली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में आज डब्यूटीआई क्रूड 1.40 फीसदी की तेजी के साथ 83.98 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है। जबकि लगभग इतनी बढ़त ब्रेंट क्रूड में भी दिख रही है। ब्रेंट क्रूड 1.04 फीसदी बढ़कर 90.97 डॉलर प्रति बैरल पर बिक रहा है। सबसे खास बात ये है कि क्रूड की कीमतें पिछले काफी समय से 100 डॉलर के अंदर ही बनी हुई हैं।