लखनऊ (post-matriculation scholarships scam): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उत्तर प्रदेश के छह जिलों में 22 स्थानों पर छापेमारी की है। राज्य के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति के धोखाधड़ी के संबंध में छापेमारी की गई है। ईडी ने कहा कि कई संस्थानों/कॉलेजों ने कई अपात्र उम्मीदवारों के नाम पर गैरकानूनी रूप से छात्रवृत्ति का लाभ उठाया और इसका गबन किया। SC, ST, PH (शारीरिक रूप से विकलांग ) अल्पसंख्यक समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों की शिक्षा की सुविधा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।

पूरे घोटाले को फिनो पेमेंट बैंक के कई एजेंटों की सक्रियता सामने आई है। लगभग 75 करोड़ रुपये का गबन इस मामले में सामने आ रहा हैं। यह घोटाला FINO पेमेंट बैंक के प्लेटफॉर्म पर खाता खोलने के लिए अपनाई गई ढीली प्रक्रिया के दुरुपयोग के कारण किया गया। अपराधियों ने फिनो की लखनऊ और मुंबई शाखाओं में सभी बैंक खाते खोले थे। संस्थानों ने छात्रवृत्ति निधियों के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण और नकद निकासी दोनों में फिनो एजेंटों की सेवाओं का भी लाभ उठाया फिर अपराध की आय को संस्थानों के मालिकों और उनसे संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के नियंत्रण में विभिन्न बैंक खातों में पहुंचा दिया गया।

कैसे हुआ घोटाला?

भारत सरकार के तय नियमों के अनुसार, छात्रवृत्ति की राशि सीधे छात्रों के बैंक खातों में जमा की जानी आवश्यक है। लेकिन घोटाला करने वाली संस्थानों ने नियमों को दरकिनार कर दिया और FINO बैंक के एजेंटों से खाता किट सीधे अपने कब्जे में ले लिया। इसके अलावा, FINO एजेंटों की सक्रिय सहायतासे, संस्थानों ने इन खातों की खाली चेकबुक को अपने कब्जे में रखा और इच्छा के अनुसार छात्रवृत्ति राशि का दुरुपयोग किया। कुछ मामलों में, संस्थान आईडी और पासवर्ड को अवैध रूप से प्राप्त करने और उनका उपयोग करने में कामयाब रहे।

अमेरिकी डॉलर भी बरामद

संस्थानों द्वारा छात्र-छात्राओं के खातों से छात्रवृत्ति की राशि नगद निकाल कर उसका उपयोग किया जाता था। 16 फरवरी को ईडी की तलाशी के दौरान बड़ी संख्या में सिम कार्ड, स्टांप और विभिन्न संस्थाओं की मुहरें मिलीं और जब्त की गईं। अब तक की गई जांच से पता चला है कि संस्थान/कॉलेज प्रथम दृष्टया विभिन्न दस्तावेजों की जालसाजी और मनगढ़ंत गतिविधियों में शामिल थे। तलाशी के दौरान, संदिग्ध व्यक्तियों, उनके परिवारों के सदस्यों और उनके सहयोगियों के नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित विभिन्न आपत्तिजनक साक्ष्यों को पीएमएलए कानून 2002 के प्रावधानों के तहत जब्त किए गए। तलाशी के दौरान 36.51 लाख रुपये की नकदी और 956 अमेरिकी डॉलर भी मिली जिसे जब्त किया गया।