इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, ED recording statement of Manish Sisodia’s PA, raids five places in Delhi, NCR): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को दिल्ली आबकारी के सिलसिले में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पांच स्थानों पर छापेमारी के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के निजी सहायक से पूछताछ की।
यह भी पता चला है कि एजेंसी ने सिसोदिया के करीबी सहयोगी और निजी सहायक देवेंद्र शर्मा सहित कुछ संदिग्धों को दिल्ली और एनसीआर में उनके घरों से पकड़ा है। ईडी के तलाशी अभियान के दौरान उनके घरों से पकड़े गए सभी संदिग्धों से धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत यहां ईडी मुख्यालय में पूछताछ की जा रही है।
सिसोदिया ने एक ट्वीट में कहा कि ईडी ने उनके खिलाफ ‘झूठा’ मामला दर्ज किया जिसके बाद उनके पीए के घर पर छापा मारा और उन्हें ‘गिरफ्तार’ किया। झूठी प्राथमिकी दर्ज करने के बाद, उन्होंने मेरे घर पर छापा मारा, बैंक लॉकरों की तलाशी ली, और मेरे गांव में चेक किया लेकिन मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं मिला। आज, ईडी ने मेरे पीए के घर पर छापा मारा। जब ईडी को वहां भी कुछ नहीं तो अब उसको गिरफ़्तार कर के ले गये है। भाजपा वालो! चुनाव में हार का इतना डर..”
दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब वितरक इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू की गिरफ्तारी के बाद अक्टूबर में ईडी ने दिल्ली और पंजाब में लगभग तीन दर्जन स्थानों पर छापेमारी की थी।
मामले के आरोपियों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर शामिल हैं।
अन्य आरोपियों में पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय हैं; ब्रिंडको सेल्स के निदेशक अमनदीप ढल; बडी रिटेल के निदेशक अमित अरोड़ा और दिनेश अरोड़ा; महादेव शराब के अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता सनी मारवाह, अरुण रामचंद्र पिल्लई और अर्जुन पांडे शामिल है।
ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गई थीं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और एल -1 लाइसेंस को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना बढ़ा दिया गया था। लाभार्थियों ने “अवैध” लाभ को आरोपी अधिकारियों को दिया और पता लगाने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में झूठी प्रविष्टियां कीं।
एक आरोप है कि आबकारी विभाग ने एक सफल निविदाकार को निर्धारित नियमों के विरुद्ध लगभग 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस करने का निर्णय लिया था। भले ही कोई सक्षम प्रावधान नहीं था, लेकिन COVID-19 के कारण 28 दिसंबर, 2021 से 27 जनवरी, 2022 तक निविदा लाइसेंस शुल्क पर छूट की अनुमति दी गई थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर हुई प्राथमिकी में कहा गया है कि इससे कथित तौर पर सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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