इंडिया न्यूज, New Delhi News। Monkeypox Is Not Gay Disease : कोरोना के बाद मंकीपॉक्स भी दुनिया भर के कई देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। अब तक दुनियाभर में 30 हजार लोग इस बीमारी से ग्रस्ति हो चुके हैं। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार मंकीपाक्स कोई समलैंगिक बीमारी नहीं है। एशिया के कई देशों में समलैंगिक संबंध बनाना गैरकानूनी है, वहां के लोग कलंकित होने के डर से मंकीपाक्स की जांच के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
बता दें कि The South China Morning Post (SCMP) में छपे एक व्यक्तिगत ओपिनियन के अनुसार, दो भारतीय युवकों ने उनके यौन साथी के मंकीपाक्स की चपेट में आने के बाद अपनी जांच करवाने मना कर दिया। उन्हें वायरस से ज्यादा डर उनके साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव से है। बता दें कि भारत में 2018 में समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है।
SCMP के एक वरिष्ठ पत्रकार और लुनार के सदस्य सलोमी ग्रुआर्ड ने बताया कि यह LGBTQ समुदाय के खिलाफ कलंक से लड़ने के लिए तत्काल संकेत देता है। डर के कारण कुछ लोग जांच करवाने से मना कर सकते हैं, जिससे विषमलैंगिक लोगों को सुरक्षा की झूठी भावना ही मिलेगी। इसके अलवा अधिकारियों को प्रकोप से लड़ने के लिए संसाधनों को न जुटाने का बहाना मिल जाएगा।
जानकारी अनुसार भारत में अब तक मंकीपाक्स के 10 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें एक की केरल में मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि मंकीपाक्स की पहचान बुखार, खुजली, सिरदर्द, छाले, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी और कमरदर्द के लक्षणों से की जाती है।
पूरे एशिया में बहुत कम ही मामले सामने आए हैं। यूएस में 10 हजार मामले के मुकाबले सिंगापुर में 12 अगस्त तक 15 मामले मिले हैं। मंकीपाक्स इतना बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ इसे लेकर बहुत चिंतित हैं।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जिन इलाकों में LGBTQ समुदाय के लोगों की पहचान करना मुश्किल है, वहां संक्रमित लोगों के लिए यह अभिशाप साबित हो सकता है जो मदद नहीं मांग सकते हैं।
समाचार एजेंसी आईएएनस के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयिसस ने चेतावनी दी है कि यह कलंक मंकीपाक्स के मामलों को ट्रेस करने और इसकी रोकथाम करने में कठिनाई पैदा कर सकता है।
आपको बता दें कि सिंगापुर, मलेशिया, बांग्लादेश जैसे कुछ देशों और इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में समलैंगिक यौन संबंध गैरकानूनी है। एक रिपोर्ट की माने तो मंकीपाक्स यौन संबंध के जरिए फैलने वाला रोग नहीं हैं, जबकि इसे एड्स जैसी महामारी के रूप में देखा जा रहा है।
1980 के दशक में एक समलैंगिक और बाइसेक्सुअल पुरुषों पर एचआईवी फैलाने का आरोप लगा था, जबकि उस दौरान के संक्रमण में विषमलैंगिक संबंध, संक्रमित सुइयां, उत्पाद आदि जिम्मेदार रहे थे।
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