Ganesh Chaturthi 2022: आज पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम मची हुई है। हर घर में आज बप्पा विराजमान हो रहे हैं। आज से 11 दिनों तक बप्पा की हर घर में विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जायेगी। भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में पहला स्थान दिया गया है। आज गणेश चतुर्थी के मौके पर हम उनके बारे में कुछ ऐसी बातें बतायेगें। जो आपके जीवन में बहुत काम आ सकती हैं।
भारत में हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश का नाम लिया जाता है। गणपति को क्यों मंगलमूर्ति कहा जाता है और कैसे देवी देवताओं में उन्हें सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है। ऐसी कई बातें आज हम आपको भगवान गणेश के बारे में बतायेगें।
भगवान गणेश ने शिव-पार्वती यानी अपने माता पिता के चक्कर लगाकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा पूरी कर ली थी…क्योंकि भगवान गणेश का यह मानना था कि उनके माता-पिता ही उनका पूरा संसार हैं।
गणपति को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है। क्योंकि उनकी बुद्धि इतनी तेज है कि हर शुभ काम से पहले उन्हें याद किया जाता है। उनकी तेज बुद्धि के कारण ही सभी देवी देवताओं में उन्हें सबसे पहला स्थान दिया गया है। जीवन का आधार भी बुद्धि है। अगर आपकी बुद्धि बुराई के साथ है तो यही आपके जीवन का सबसे बड़ा विघ्न है। इसलिए अगर आपकी बुद्धि अच्छाई के साथ है, तो विघ्नहर्ता गणेश आपके सारे दुख हर लेंगे।
क्या आपने कभी यह सोचा है कि श्री गणेशाय नमः कहकर ही किसी भी नए काम को क्यों शुरू किया जाता है। साथ ही कुछ भी नया लिखने से पहले श्री गणेशाय नमः क्यों लिखा जाता है। दरअसल, व्याकरण यानी कि ग्रामर में अक्षरों को गण कहा जाता है। भगवान गणेश अक्षरों के देवता हैं, इसलिए उन्हें गणेश कहा जाता है। इसीलिए शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि कुछ नया लिखने से पहले श्री गणेशाय नमः जरूर लिखें।
गणेश जी को सभी कलाओं में निपुर्ण माना जाता है। इसलिए कला के क्षेत्र में भी उनका नाम सबसे पहले स्मरण किया जाता है। भगवान गणेश को मंगलमूर्ति इसलिए कहा जाता है…क्योंकि वो विघ्न हरते हैं और समृद्धि लाते हैं।
इसके अलावा गणेश जी को मुहर्त का देवता भी कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य मुहर्त देखकर ही किया जाता है और मुहर्त नक्षत्रों को देखकर तय किया जाता है। भगवान गणेश को सभी नक्षत्रों का देवता कहा जाता है। इसलिए कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले उनका स्मरण किया जाता है।
गणेश जी श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक हैं इसलिए उन्हें सिद्धिदाता भी कहा जाता है। इसलिए हर काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का नाम लें और पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ काम का आरंभ करें…तभी आपको जीवन में सफलता मिलेगी।
इसके अलावा कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि घर और दफ्तरों के बाहर गणेश जी की मूर्ति क्यों लगाई जाती है। कहा जाता है ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा (पोसिटिव एनर्जी) बनी रहती है। श्री गणेश को वक्रतुंड महाकाय भी कहा जाता है। इसका अर्थ होता है हाथी के जैसा विशालकाय शरीर…
एक बार माता पार्वती ने भगवान गणेश को यह आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर नहीं आने दें। अपने कर्तव्य और वचन का पालन करने के लिए बाल गणेश ने भगवान शिव को भी अंदर नहीं जाने दिया। और क्रोध से भरे भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया। यह बात मैं आपको इसलिए बता रही हूं क्योंकि भगवान गणेश के लिए उनके कर्म और कर्त्तव्य से बढकर उनका सिर भी नहीं था। इसलिए आप उनसे यह सीख जरूर लें। कि जिंदगी में कर्म और कर्त्तव्य से ऊपर कुछ नहीं होता है।
उनके सिर कट जाने के बाद भगवान शिव ने उनके ऊपर हाथी का सिर लगाया, तभी से गणेश जी को गजानन भी कहा जाता है। भगवान गणेश का मुख बेहद सुंदर है, शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि सिर्फ उनके दर्शन से ही सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। उनके कांतिमय मुख के कारण ही भगवान गणेश को सुमुख भी कहा जाता है।
इसके अलावा क्या आप यह जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा मां लक्ष्मी के साथ क्यों की जाती है। जबकि लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी हैं…. लेकिन फिर भी दोनों की पूजा साथ में की जाती है….क्योंकि गणेश जी बुद्धि के देवता हैं और मां लक्ष्मी धन और संपदा की देवी…इसलिए धन और संपदा को बुद्धि के साथ अर्जित करने के लिए इनकी पूजा साथ में की जाती है।
आप शायद ही यह जानते हों कि भगवान गणेश की पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं की जाती है बल्कि पूरी दुनिया में उनके मंदिर बने हुए हैं। गणेश जी की पूजा दुनिया के सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में भी की जाती है। यहां तक की इंडोनेशिया की कर्रेंसी पर भी भगवान गणेश की फ़ोटो छपी हुई है।
इंडोनिशिया के सक्रिय ज्वालामुखी माउंट ब्रोमो के मुहाने पर भगवान श्रीगणेश की 700 साल पुरानी प्रतिमा स्थापित है। माउंट ब्रोमो पर सालभर भगवान गणपति की पूजा की जाती है, लेकिन हर साल जुलाई में 15 दिनों तक यहां विशेष आयोजन किया जाता है। इसी तरह दुनिया के कई हिस्सों में भगवान गणेश की सालों पुरानी मुर्तियां स्थापित हैं।
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