इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अरबपति गौतम अडानी एशिया के सबसे आमिर ही नहीं महाद्वीप के सबसे बड़े दानवीर भी हैं। जानकारी दें, ये जानकारी कोई हवा में नहीं बल्कि फोर्ब्स की तरफ से आई है। आपको जानकारी दें, मंगलवार (6 दिसंबर, 2022) को फोर्ब्स एशिया की हीरोज ऑफ फिलानथ्रॉपी (Forbes Asia’s Heroes of Philanthropy) की लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट के 16वें संस्करण में भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के अलावा शिव नाडर और अशोक सूता का नाम भी शामिल है।
फोर्ब्स की सूची के अनुसार, ये तीनों एशिया के सबसे बड़े दानवीर हैं। वहीं, इस लिस्ट में मलेशियाई-इंडियन बिजनेसमैन ब्रह्मल वासुदेवन और उनकी पत्नी शांति कंडिया को भी जगह दी गई है। फोर्ब्स की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि बिना किसी रैंकिंग वाली इस सूची में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अग्रणी परोपकारी कार्य करने वाले लोगों को शामिल किया गया है।
जानकारी दें, अडानी ने इस साल जून में अपने 60वें जन्मदिन के मौके पर 60000 करोड़ रुपए दान देने का संकल्प लिया था। अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया था कि इतनी बड़ी रकम शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास पर खर्च की जाएगी। ज्ञात हो, जन्मदिन से एक दिन पहले (23 जून, 2022) अडानी ने एक ट्वीट के जरिए अपने द्वारा दिए जाने वाले दान की जानकारी दी थी। इस ट्वीट में वे स्कूली बच्चों के साथ नजर आए थे। उन्होंने लिखा था, “मेरे पिता की 100वीं जयंती और मेरे 60वें जन्मदिन पर अडानी परिवार ने देश भर में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कौशल विकास के लिए 60 हजार करोड़ रुपए दान करने का संकल्प लिया है।”
इसी कारण उन्हें एशिया के सबसे बड़े दानवीर लोगों की सूची में शामिल किया गया है। आपको बता दें,अडानी फाउंडेशन का गठन 1996 में किया गया था। जो हर साल यह फाउंडेशन भारत में 37 लाख लोगों की मदद करता है। ये भी जानकारी दें, अरबपति शिव नाडर अपनी मेहनत के दम पर देश के बड़े दानवीर लोगों में गिने जाते हैं। उन्होंने शिव नाडर फाउंडेशन के माध्यम से एक दशक में एक अरब डॉलर परमार्थ कार्यों में लगाए हैं। इस साल उन्होंने फाउंडेशन को 11,600 करोड़ रुपए का दान दिया है। इस फाउंडेशन की स्थापना 1994 में हुई थी।
वहीं, तकनीकी क्षेत्र के दिग्गज अशोक सूता ने न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के अध्ययन के लिए अप्रैल 2021 में स्थापित मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट को 600 करोड़ रुपए संकल्प किया था। उन्होंने 200 करोड़ रुपए खर्च करके SKAN- एजिंग और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के लिए वैज्ञानिक शोध की शुरुआत की, जिसे उन्होंने तीन गुना कर दिया है। फोर्ब्स एशिया ने सूता के हवाले से कहा, “भारत में केवल दो तरह के लोग (मेडिकल) शोध कर रहे हैं। एक वे लोग हैं जो दवा की खोज कर रहे हैं और दूसरे वे लोग हैं, जो राष्ट्रीय व राज्य स्तर के संस्थानों में पैसे के लिए शोध कर रहे हैं।”
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