Gond painting gets GI tag: मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध गोंड पेंटिंग को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है। एक भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है जिससे एक विशिष्ट भौगोलिक, गुण या प्रतिष्ठा होती का मूल पता चलता है। गोंड कला लोककला का ही एक रूप है। जो गोंड जनजाति की उपशाखा परधान जनजाति के कलाकारों द्वारा चित्रित की जाती है। जिसमें गोंड कथाओं, गीतों एवं कहानियों का चित्रण किया जाता है।
- डिंडोरी जिला मूल केंद्र
- खन्नत गांव में हर गांव में कलाकार
- भज्जू श्याम ने खुशी जताई
इसका उपयोग औद्योगिक उत्पादों, खाद्य पदार्थों, कृषि उत्पादों, स्पिरिट ड्रिंक्स और हस्तशिल्प के लिए किया जाता है। जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत अधिकृत उपयोगकर्ता के अलावा किसी अन्य को लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
मूल स्रोत डिंडोरी जिला
जीआई टैग मिलने पर पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित और प्रसिद्ध गोंड कलाकार भज्जू श्याम ने कहा, “यह हमारे लिए गर्व की बात है। इससे आदिवासी और गोंड बहुल समुदायों के लोगों को अब सीधा लाभ मिलेगा।” मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिला गोंड पेंटिग से मुल रुप से जुड़ा है। वहां के कलेक्टर विकास मिश्रा कहा कि जीआई टैग मिलने का मतलब है कि स्वीकार किया है कि इसका मूल स्रोत डिंडोरी जिला है।”
हर गांव में पेटिंग बनाने वाला
गौरतलब है कि डिंडोरी जिले का पाटनगढ़ गांव ऐसा गांव है जहां हर घर में एक कलाकार है। उनके काम की ख्याति प्रदेश ही नहीं विदेशों में भी है। खन्नत गांव की रहने वाली शारीरिक रूप से विकलांग आदिवासी महिला नरबदिया अरमो माउथ पेंटिंग करती हैं। वह हर उस महिला के लिए एक मिसाल और इच्छाशक्ति की प्रतीक रही हैं, जो खुद को असहाय पाती है। जीआई टैग मिलने के बाद नरबदिया अरमो की पेंटिंग्स को नाम-शोहरत, पहचान और उचित मूल्य भी मिलेगा।
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