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कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का अधिक प्रभाव आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि का संगम : ज्ञानानंद

Naresh Kumar • LAST UPDATED : October 25, 2022, 9:23 pm IST
  • शंखनाद की ध्वनि के साथ स्वामी ज्ञानानंद सहित अन्य साधु-संतों ने लगाई पवित्र ब्रह्मसरोवर के जल में डुबकी
  • सांसद नायब सिंह सैनी, राजस्थान से कैबिनेट मंत्री रमेश चंद मीणा, विधायक सुभाष सुधा, विधायक लीला राम, सीएम मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, एडीजीपी श्रीकांत यादव ने किया ब्रह्मसरोवर पर स्नान

डॉ. राजेश वधवा, कुरुक्षेत्र न्यूज। Surya Grahan-2022: गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में इस वर्ष सूर्य ग्रहण का मुख्य केंद्र रहा है इसलिए आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक अद्भुत संगम है। इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव कल्याण के लिए दूर दराज से आए संत जनों ने ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर विश्व शांति का जप किया है।

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद मंगलवार को ब्रह्मसरोवर के तट पर हवन यज्ञ में शामिल होने से पहले पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इसके उपरांत सूर्यास्त मोक्ष के समय 5 बजकर 39 मिनट पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी दीन दयाल पांडे, स्वामी केशवानंद, सांसद नायब सिंह सैनी, सांसद रत्तन लाल कटारिया, राजस्थान कैबिनेट मंत्री रमेश चंद मीणा, विधायक सुभाष सुधा, कैथल से विधायक लीलाराम, सीएम मीडिया कोऑर्डिनेटर जगमोहन आनंद, एडीजीपी श्रीकांत यादव, भाजपा प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व विधायक डा. पवन सैनी, प्रदेश महामंत्री मोहन लाल बडौली, भाजपा नेत्री बंतो कटारिया ने ब्रह्मसरोवर के वीआईपी घाट पर ब्रह्मसरोवर के पवित्र जल में आस्था की डूबकी लगाकर स्नान किया।

इस दौरान अंबाला मंडल की आयुक्त रेणु फुलिया, उपायुक्त शांतनु शर्मा, पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र भौरिया, एडीजीपी की धर्मपत्नी कविता, एडीसी अखिल पिलानी, नारायणगढ़ की एसडीएम आईएएस जया शारदा, एएसपी कर्ण गोयल, एसडीएम सुरेंद्र पाल, नगराधीश चंद्रकांत कटारिया आदि ने भी हवन यज्ञ, पूजा-पाठ में शिरकत की है।

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने और मानव जाति कल्याण के लिए धार्मिक अनुष्ठान में यज्ञ और अखंड पाठ किया गया है। उन्होंने कहा कि सूर्य ग्रहण का कुरुक्षेत्र से हजारों साल से संबंध रहा है। इस पावन धरा पर भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के उपदेश दिए और सूर्य ग्रहण के समय भी भगवान श्रीकृष्ण द्वारका से कुरुक्षेत्र आए।

इसलिए सूर्य ग्रहण का कुरुक्षेत्र में आध्यात्मिक महत्व भी है और विज्ञान भी इसको सिद्ध कर चुका है। इस ग्रहण के साथ साकारात्मक भाव जुड़े हुए है। इसलिए हरिद्वार, कुरुक्षेत्र व आसपास के राज्यों से आए साधु संतों ने ब्रह्मसरोवर में स्नान किया।

कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए सूर्य ग्रहण जैसे अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठानों का होना जरूरी है। इन धार्मिक अनुष्ठानों में पूजा अर्चना करके विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की जाती है और इसके सार्थक परिणाम भी सामने आते है।

भागवत पुराण के अनुसार सूर्य ग्रहण के दिन ही भगवान श्री कृष्ण, बलराम और द्वारका से बहुत से प्रजाजनों के साथ कुरुक्षेत्र आए थे। इसलिए सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र का महत्व बहुत अधिक रहता है।

विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि पांच हजार वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि से विश्व कल्याण के लिए गीता के उपदेश दिए थे, आज फिर इस गीता स्थली से विश्व कल्याण के लिए महान संतों ने विश्व शांति के लिए पाठ किया है।

पूरे विश्व में कुरुक्षेत्र का महत्व सदियों पुराना है, आदिकाल से ही कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के अवसर पर स्नान की परम्परा रही है। महाभारत के अनुसार सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र स्थित सन्निहित तीर्थ का स्पर्श मात्र कर लेने से शत अश्वमेध यज्ञों की फल की प्राप्ति होती है।

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