इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : ज्ञानवापी विवाद से जुड़े दो केस की सुनवाई मंगलवार को वाराणसी की दो अलग-अलग कोर्ट में हुई। पहली सुनवाई ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग से जांच कराने की मांग पर हुई। शिवलिंग से जुड़े केस की सुनवाई जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने इस मामले पर अपना आदेश सुरक्षित करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 14 अक्टूबर तय की है।
दूसरा केस ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की पूजा-पाठ की मांग के अधिकार से संबंधित है। शिवलिंग की पूजा -पाठ से जुड़ी सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडेय की कोर्ट में हुई। इस केस में कोर्ट नियमित सुनवाई करेगा।इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 अक्टूबर यानी कल की तय की गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में एडवोकेट कमिश्नर की कमीशन की कार्रवाई के दौरान बीती 16 मई को पत्थर की ठोस संरचना मिली थी। मां श्रृंगार गौरी केस की वादिनी महिलाओं सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और राखी सिंह का दावा है कि वह पत्थर प्राचीन शिवलिंग है।
वादिनी महिलाओं ने कथित शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और इर्द-गिर्द के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इससे यह पता लग सकेगा कि शिवलिंग कितना पुराना है। साथ ही यह भी साफ हो सकेगा कि वह कितना लंबा और चौड़ा है। साथ ही उसका अरघा कितना गहरा है।
इस पर जवाब देने के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से बीती 7 अक्टूबर को कोर्ट से समय मांगा गया था। जिला जज की कोर्ट ने कहा था कि 11 अक्टूबर को मसाजिद कमेटी का पक्ष सुनने के बाद वह अपना आदेश सुनाएगी। आज मसाजिद कमेटी की ओर से कहा गया कि कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी कथित शिवलिंग मिलने वाली जगह को सुरक्षित रखने के लिए कहा है। ऐसे में वहां खुदाई या कुछ भी करना उचित नहीं होगा। वहीं, हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमेटी की दलीलों का विरोध किया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की है।
18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था।
पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले। इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो। कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था।
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