India News (इंडिया न्यूज़), Haryana Congress, चंडीगढ़: हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को अपने नेताओं के बीच चल रहे झगड़े को सुलझाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है लेकिन नहीं सुलझ रहा है। पिछले पार्टी प्रभारियों के प्रयासों के बावजूद, आंतरिक संघर्ष जारी है, जिससे पार्टी आलाकमान के सामने चुनौतियां बढ़ गई हैं। नवनियुक्त राज्य पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया को अब पार्टी नेताओं के बीच चल रहें मतभेदों को हल करने में कठिन चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
शकील अहमद, पृथ्वीराज चव्हाण, कमल नाथ और गुलाम नबी आज़ाद इससे पहले हरियाणा के प्रभारी रहे है। इस सभी के समय से मतभेदों का सिलसिला चला आ रहा है। पिछले चार वर्षों में, हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने राज्य प्रभारी की भूमिका के नियुक्तियों की एक श्रृंखला देखी है।
हालाँकि, इन बदलावों के बावजूद पार्टी के दिग्गजों के भीतर आंतरिक कलह जारी है। गुलाम नबी आज़ाद ने जनवरी 2019 में हरियाणा प्रभारी के रूप में पदभार संभाला था। उनके बाद विवेक बसंल सितंबर 2020 में कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी बने। शकील अहमद 2015 और कमलनाथ 2016 में इस पद को संभाला था। दिसंबर 2022 में शक्ति सिंह गोहिल ने कार्यभार संभाला था लेकिन जनवरी 2023 में दीपक बाबरिया को प्रभारी बनाया गया।
2016 के राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के कारण कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार आरके आनंद की हार के बाद शकील अहमद को राज्य पार्टी प्रभारी के पद से हटा दिया गया था। कांग्रेस से समर्थन प्राप्त करने के बावजूद, आनंद एक सफल उम्मीदवारी हासिल करने में असमर्थ रहे। इसी तरह, हरियाणा में प्रभारी के रूप में विवेक बंसल का कार्यकाल हरियाणा कांग्रेस के भीतर विवादों और आंतरिक संघर्षों से भरा रहा। अजय माकन की राज्यसभा चुनाव में हार और फिर आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस की हार के बाद विवेक बसंल को उनके पद से हटा दिया गया था।
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