इंडिया न्यूज़ ,दिल्ली : भारतीय क्रिकेट टीम में इस वक्त एक सबसे ज्यादा किसी पर ऊंगली उठाई जा रही है तो वो है केएल राहुल।बता दें, क्रिकेट का कोई भी फॉर्मेट हो राहुल लगातार फ्लॉप साबित हो रहे हैं। वहीं उनके लगातार निराशाजनक प्रदर्शन को दरकिनार कर उन्हें बार -बार मौके मिल रहे हैं। केएल राहुल की प्रदर्शन को लगातार पर उतने सारे सवाल उठने लगे हैं कि उनकी तुलना राहुल गांधी से होने लगी है।
क्रिकेट प्रशंसक इस बात पर निशाना साध रहे है कि क्रिकेट हो या राहुल दोनों को मौका देना बेकार का है। ये दोनों चलने वालों में से नहीं है।

राहुल की प्रदर्शन पर सबसे ज्यादा सवाल गुरुवार 9 फरवरी नागपुर टेस्ट के बाद और तेज हो गए हैं। वजह साफ है उनका नागपुर टेस्ट में प्रदर्शन। वैसे तो ऑस्ट्रेलियन टीम भी नागपुर टेस्ट में फ्लॉप रही है। लेकिन मौका एक बार का हो तो चलता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम बार -बार एक ही प्रदर्शन को नहीं दुहराती। लेकिन केएल राहुल हैं कि उनको देखकर लगता है उन्हें बल्लेबाजी करते जाने समय उनके दिमाग में एक ही शब्द याद रहता है। मुझे जल्दी पवेलियन में जाकर बैठना है।

खराब प्रदर्शन-खराब अंदाज

बता दें, केएल राहुल, जो टीम के उप-कप्तान भी हैं। एक के बाद एक लगातार पारियों में उनकी नाकामी कई सवाल खड़ी कर रही है और इसमें सबसे बड़ा ये है कि आखिर कब तक उनके लिए अन्य खिलाड़ियों के मौके छीने जाते रहेंगे। क्योंकि ऑस्ट्रेलाई टीम के खिलाफ भारतीय टीम अच्छी स्थिति के साथ दिन का खेल खत्म करने के करीब थी लेकिन सिर्फ 7 गेंद पहले ही राहुल का विकेट गिर गया। राहुल महज 20 रन बना अपना विकेट फेंककर चलते बने।

अवसर को मुसीबत में तब्दील कर रहे केएल राहुल

मालूम हो, पिछले एक साल से टेस्ट क्रिकेट में चले आ रहे राहुल के संघर्ष की लिस्ट और लंबी हो चली है। ये पहला मौका नहीं है, जब वह इस तरह विकेट फेंककर चलते बने हैं। बता दें, दिसंबर 2021 में सेंचुरियन में साउथ अफ्रीका के खिलाफ शतक जमाने के बाद से 10 पारियों में वह सिर्फ एक अर्धशतक बना पाए हैं। साउथ अफ्रीका के दौरे के बाद इन 13 महीनों में खेली 10 पारियों में राहुल के स्कोर कुछ इस तरह रहे हैं- 23, 50, 8, 12, 10, 22, 23, 10, 2, 20 ।

राहुल के लिए दूसरों की कुर्बानी कब तक?

राहुल की लगातार नाकाम परियों के बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या वह मानसिक तौर पर टेस्ट क्रिकेट खेलने की स्थिति में हैं ? क्या उन्हें फॉर्म में वापसी के लिए ब्रेक नहीं दिया जाना चाहिए? इससे भी बड़ा सवाल ये है कि कब तक उन्हें टीम में रखने के लिए अच्छा प्रदर्शन कर रहे बाकी बल्लेबाजों की कुर्बानी दी जाएगी।