इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी है कि इस साल एक तिहाई दुनिया मंदी की चपेट में होगी। दुनिया की सबसे बड़ी इकनॉमी अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और चीन के लिए यह साल बहुत मुश्किल भरा रहने वाला है। रूस-यूक्रेन युद्ध, महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी और चीन में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी से नया साल ग्लोबल इकनॉमी के लिए चुनौतियों से भरा रह सकता है। आईएमएफ ने ये भी कहा है कि जो देश मंदी की चपेट में नहीं होंगे, वे भी इसका असर महसूस करेंगे।

2.7 फीसदी रहेगी वैश्विक वृद्धि दर

आईएमएफ ने कहा था कि साल 2023 में ग्लोबल ग्रोथ 2.7 फीसदी गिर सकती है। ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस और महामारी के सबसे बुरे समय को छोड़ दें तो यह साल 2001 के बाद की सबसे कमजोर ग्रोथ रेट देख सकता है। वैश्विक मंदी का प्रभाव तीन चीजों पर निर्भर कर सकता है। पहला- केंद्रीय बैंक आगे क्या करते हैं। दूसरा -चीन में जीरो कोविड पॉलिसी वापस लेने का असर। तीसरा – ऊर्जा कीमतें।

दुनियाभर में मंदी लाने पर आमादा केंद्रीय बैंक

जानकारी दें, आईएमएफ ने महंगाई को वर्तमान और भविष्य की समृद्धि के लिए सबसे तात्कालिक खतरा बताया है। एनर्जी की कीमतों में गिरावट और कर्ज की दर में वृद्धि से यूएस और यूरोप में महंगाई घटना शुरू हुई है। वहीं, केंद्रीय बैंको का स्पष्ट रुख है कि वे ब्याज दरों में वृद्धि को रोकना शुरू नहीं करेंगे। वे इनमें छोटी-छोटी वृद्धि करना जारी रखेंगे। यूरोपीय सेंट्रल बैंक के प्रेसिडेंट क्रिस्टीन लैगार्ड ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, ‘हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। हम डगमगाने वाले नहीं हैं।’ महंगाई और इकनॉमी के ताजा आंकड़ों के साथ सेंट्रल बैंकर्स मीटिंग पर मीटिंग कर रहे हैं। वे नहीं जानते कि उन्हें महंगाई को 2 फीसदी पर लाने के लिए दरों को कितना ऊपर ले जाना है। या उन्हें कब तक ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखनी है। अगर महंगाई लगातार बढ़ती रही, तो सेंट्रल बैंक और अधिक आक्रामक होकर ब्याज दरों में इजाफा कर सकते हैं। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।

इसका इकनॉमी पर असर

मालिम हो, ब्याज दरें बढ़ाने से बाजार में लिक्विडिटी (पैसों की आवक) कम होती है, जिससे देश की विकास दर प्रभावित होती है। ग्रोथ कम रही, तो बेरोजगारी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। प्रति व्यक्ति आय में भी कमी आएगी।’ यह दुनियाभर में मंदी को आमंत्रित कर सकती है।

साल 2023 चीन के लिए होगा सबसे बुरा

आपको बता दें, करीब तीन वर्षों से चीन में कड़े कोविड प्रतिबंध लागू थे। जीरो कोविड पॉलिसी ने वहां कोरोना संक्रमण को रोका हुआ था। इन प्रतिबंधों के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शनों के बाद इस पॉलिसी को वापस ले लिया गया। इससे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकनॉमी फिर से खुल गई है। इससे विकास को गति मिल सकती है। लेकिन कई जोखिम भी हैं। जीरो कोविड पॉलिसी वापस लेने के बाद चीन के हेल्थकेयर सिस्टम की पोल खुल गई है। चीन इस समय सबसे खतरनाक कोरोना लहर से गुजर रहा है। चीन से कोरोना संक्रमण दूसरे देशों में भी फैल रहा है। आईएमएफ चीफ ने कहा है कि चीन के लिए अगले कुछ महीने बेहद मुश्किल रहने वाले हैं। आईएमएफ ने कहा है कि यह साल चीन के लिए सबसे बुरा होगा। इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ेगा।

एनर्जी की कीमतें

जानकारी दें, रूस-यूक्रेन युद्ध अभी भी जारी है। इसने कई मोर्चों पर अनिश्चितता का माहौल है। विशेष रूप से यूरोप के देशों के लिए। यूरोप के देशों ने खुद को रूस के एनर्जी प्रोडक्ट्स से दूर रखा हुआ है। इसके चलते यूरोपीय देश ऊर्जा उत्पादों की कमी का सामना कर रहे हैं। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में यूरोप में प्राकृतिक गैस की शॉर्टेज देखने को मिलेगी। साथ ही चीन की इकनॉमी खुलने से वहां एनर्जी उत्पादों की डिमांड वापस आ जाएगी। एनर्जी सप्लाई की कमी से कीमतें ऊपर जाएंगी। इससे महंगाई बढ़ेगी और महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाएंगे, जो मंदी का कारण बनेगी।