india news (इंडिया न्यूज़) इमरान खान : पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान विवादों के किंग बन गए हैं। कुछ दिन पहले ही इमरान खान को गिरफ्तार कर लिया गया था। बता दें खान पर जमीन स्थानांतरित के आरोप लगे हैं। हालांकि कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए इमरन खान को रिहा कर दिया। जानकारी दें, इमरान खान का क्रिकेट से सियासत तक का पूरा सफर बेहद दिलचस्प रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इमरान खान को खेलना बहुत पसंद हैं पहले वो क्रिकेट का खेल खेलते थे और अब सियासत के खेल ने ही उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। हालाँकि दोनों ही खेलों ने उन्हे पहचान दी लेकिन इमरान की पहचान हमेशा से ही एक अच्छे कप्तान के रूप में रही।
मालूम हो, पांच अक्टूबर 1952 को लाहौर के एक रईस परिवार में जन्मे इमरान ने 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट से करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट और डेब्यू 1974 में वनडे डेब्यू किया था। इमरान ने 25 मार्च, 1992 को आखिरी वनडे भी इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला था। रिपोर्ट के मुताबिक इमरान 1982 में पाकिस्तान के 13वें टेस्ट कप्तान बने। इस दरम्यान उन्होंने 48 टेस्ट मैचों में कप्तान की, जिनमें 14 जीते और 8 हारे। वहीं, वन-डे में उन्होंने 139 मैचों में कप्तानी की, जिनमें 75 जीते, 59 हारे। इमरान खान को वन-डे में पाकिस्तान के सबसे सफल कप्तान के रूप में माना जाता है। वन-डे और टेस्ट दोनों में उन्होंने 1982-1992 तक कप्तानी की भूमिका अदा की।
बता दें, इमरान पाकिस्तान के इतिहास में इकलौते क्रिकेटर हैं, जिन्हें संन्यास लेने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक के आग्रह पर वापसी करनी पड़ी थी। दरअसल, उनकी कप्तानी में 1987 में पाकिस्तान को क्रिकेट वर्ल्ड सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। जिससे निराश होकर इमरान ने संन्यास की घोषणा कर दी। हालांकि, जिया उल हक के आग्रह पर वह फिर से कप्तान बने और 1992 में पाकिस्तान को किक्रेट वर्ल्ड कप दिलाया।
मालूम हो, क्रिकेट से 1992 में संन्यास लेने के बाद इमरान ने 27 साल पहले पाकिस्तान की राजनीति में कदम रखा था। बतौर राजनेता कभी उन्हें इतनी तवज्जो नहीं मिली, लेकिन 2018 में वह पाकिस्तान की सियासी कमान संभालने की कगार पर खड़े हो गए। राजनीतिक पारी की शुरुआत में जिस इमरान खान को पाकिस्तानी मीडिया और वहां की आवाम तवज्जो नहीं देती थी, लेकिन 2018 में महिलाओं और युवाओं का एक बड़ा वर्ग उनका समर्थन करने लगा। इसके पीछे बड़ी वजह आम तौर पर उनका राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में विवादों से दूर रहना बताया गया। हालांकि, 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान इमरान खान पर अमर्यादित भाषा के प्रयोग का आरोप लगा और चुनाव आयोग ने उन्हें ऐसा नहीं करने की हिदायत तक दी।
बता दें, 1996 में तहरीक-ए-इंसाफ के गठन के बाद से इमरान पाकिस्तान की संसद के लिए निर्वाचित अपनी पार्टी के एकमात्र सदस्य रहे। 2002 में परवेश मुशर्रफ के सैन्य शासन के दौरान हुए आम चुनाव में पीटीआई ने पहली और एक मात्र सीट जीती। 2002 से 2007 तक उन्होंने नेशनल असेंबली में मियांवाली का प्रतिनिधित्व किया। एक बार इमरान ने राष्ट्रपति मुशर्रफ को अमरीकी राष्ट्रपति का जूता चाटने वाला बताया था। इसके बाद उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था।
2007 में मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल घोषित कर दिया था। इसके बाद इमरान ने मुशर्रफ के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। मुशर्रफ ने इसे देशद्रोह माना था। इमरान को फिर से नजरबंद करने को कहा गया, लेकिन इमरान वहां से फरार हो गए। उन पर आतंकवाद अधिनियम के तहत आरोप भी लगाए गए। इमरान को डेरी गाजी खान जेल में बंद भी कर दिया गया। 21 नवंबर को वह जेल से रिहा हुए। बाद में वह सरकार का विरोध करते हुए कई बार नजरबंद हुए। हालांकि, उन्होंने कभी सरकार से टक्कर लेना नहीं छोड़ा। इमरान खान ने दुनियाभर में चंदा इकट्ठा कर 2008 में अपनी मां शौकत खानम के नाम पर एक कैंसर अस्पताल बनवाया।
आखिकार इमरान खान 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। वह पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने। 25 जुलाई, 2018 को इमरान की पीटीआई पाकिस्तान की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, वह अपने दम पर सरकार बनाने में कुछ सीटों से चूक गई थी। जानकारी के लिए बता दें, पाकिस्तान में भारत के उलट सदन में बहुमत पहले साबित करना होता है। पाकिस्तान की संसद में 172 बहुमत का आंकड़ा होता है और संसद में हुई वोटिंग में इमरान को 176 वोट मिले थे। पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष शहबाज शरीफ को केवल 96 वोट मिले थे। इमरान के शपथ ग्रहण समारोह में भारत के क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हुए थे।
हालांकि, इमरान के खिलाफ अप्रैल 2022 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसे पहले तो स्पीकर ने से खारिज कर दिया था। स्पीकर के फैसले के खिलाफ बाद में विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने इमरान खान को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया और पाकिस्तान में चुनाव कराने की बात कही। जब इमरान खान प्रधानमंत्री के पद से हटे तब उनके समर्थन में 142 विधायक थे, जबकि पाकिस्तान की संसद में बहुमत के लिए कम से कम 172 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है। जानकारी दें,पाकिस्तान की असेंबली में कुल 342 सदस्य हैं।
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