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Emergency in India : आज ही के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने रखी थी इमरजेंसी की नींव, देश में लोकतंत्र की हुई थी हत्या

 Emergency in India : सवतंत्र भारत में लोगों ने ऐसे भी दिन देखे हैं जिसे आज भारतीय लोकतंत्र में काला अध्याय के रूप में जाना जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं 1975 की जब इंदिरा गंधी तकी सरकार ने ततकाल प्रभाव से पूरे देश में इमरजेंसी लगा दी थी। बता दें आज 12 जून है, आज के दिन का आपातकाल (1975 Emergency in India) से खास संबंध है।आज के ही दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक ऐसा फैसला दिया था, जो देश में आपातकाल लागू करने का आधार बना। ऐसे में आज हम इस विषय को विस्तार से जानते हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला और इमरजेंसी

साल 12 जून1975 के दिन  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस समय की वर्तमन प्रधानमंत्री इंदिरा गंधी को लेकर बड़ा फैसला सुनाया था। इतिहासकारों का मानना है कि इसी फैसले की वजह से देश में आपातकाल लागू कर हजारों लोगों को बंदी बनाया गया था। बता दें हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली करने का दोषी पाते हुए छह साल तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन इंदिरा ने उच्च न्यायालय के फैसले को मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जून को उन्होंने आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी। आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फर्नांडिस, घनश्याम तिवारी और अटल बिहारी वाजपेयी समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

राजनारायण ने चुनाव परिणाम को दी थी चुनौती

पूरा मामला 1971 में हुए लोकसभा चुनाव का है। इस चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने प्रतिद्वंदी राजनारायण को पराजित कर दिया था, लेकिन राजनारायण ने हाईकोर्ट में चुनाव परिणाम को चुनौती दी। उन्होंने दलील दी कि इंदिरा ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया, तय सीमा से अधिक पैसे खर्च किए और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए गलत तरीकों का भी इस्तेमाल किया।

आपातकाल और भारत

देश में आपातकाल 25 जून 1975 को लागू हुआ। यह 21 मार्च 1977 तक यानी 21 महीने तक रहा। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इसे सबसे विवादास्पद फैसला माना जाता है। इसे भारतीय लोकतंत्र में काला अध्याय भी कहा जाता है।

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Priyanshi Singh

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