इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक साथ दर्जनों उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजकर भारत का नाम ऊंचा कर करने के साथ- साथ हरेक भारतियों को गौरवान्वित किया है। आज दुनियाभर में भारत के इसरो की धाक इतनी बढ़ी है कि पश्चिमी जगत के विकसित देश भी स्पेस में अपने सैटलाइट्स भेजने के लिए भारत की मदद ले रहे हैं। इससे न केवल सैटलाइट्स लॉन्चिंग के क्षेत्र में भारत की धाक जम रही है बल्कि अच्छी-खासी कमाई भी हो रही है। इसरो ने इस दिशा में गुरुवार को एक और बड़ा कदम बढ़ा दिया जब उसने बेहद ताकतवर क्रायोजेनिक इंजन का सफलतापूर्वक टेस्ट किया।
आपको बता दें, इस क्रायोजेनिक इंजन के सफल परीक्षण के साथ भारत के सबसे भारी रॉकेट एलवीएम 3 की पेलोड क्षमता 450 किलोग्राम तक बढ़ गई है। इसरो ने एक बयान में कहा कि एलवीएम 3 देश में विकसित सीई20 क्रायोजेनिक इंजन का 9 नवंबर को पहली बार 21.8 टन के अपरेटेड थ्रस्ट स्तर पर सफल परीक्षण किया गया। बयान में कहा गया कि इससे अतिरिक्त प्रणोदक के वजन के साथ एलवीएम 3 पेलोड की क्षमता 450 किलोग्राम तक बढ़ जाएगी।
इसरो ने हाल ही में एलवीएम 3 से 36 सैटलाइट्स को एक साथ अंतरिक्ष की निचली कक्षा में स्थापित किया था। इसके लिए इसरो ने वनवेब और इनस्पेस से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की डील की थी। अगले वर्ष जनवरी में वनवेब के कुछ और सैटलाइट्स की लॉन्चिंग की जानी है। ध्यान रहे कि एलवीएम 3 दरअसल जीएसएलवी एमके 3 का ही रीडिजाइन्ड वर्जन है। एलवीएम 3 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। यह एलवीएम 3 का पहला कमर्शियल लॉन्च था। इस लॉन्चिंग में भेजे गए वनवेब के सैटलाइट्स उस प्रोग्राम का हिस्सा हैं जिनके जरिए दुर्गम इलाकों में भी इंटरनेट मुहैया कराने की योजना है।
इसरो ने कहा कि पिछले इंजन की तुलना में इस परीक्षण में किए गए प्रमुख संशोधनों में नियंत्रण के लिए थ्रस्ट कंट्रोल वाल्व (टीसीवी) की शुरूआत की गई। बयान में कहा गया, ‘इसके अलावा, 3डी प्रिंटेड एलओएक्स और एलएच 2 टर्बाइन एग्जॉस्ट केसिंग को पहली बार इंजन में शामिल किया गया। परीक्षण के दौरान, 20 टन थ्रस्ट स्तर के साथ संचालित किया गया, फिर थ्रस्ट कंटोल वॉल्व स्तर को बढ़ाकर 21.8 टन कर दिया गया।’ इसरो ने कहा, ‘परीक्षण के दौरान इंजन और इस सुविधा का प्रदर्शन सामान्य था और आवश्यक मापदंडों को प्राप्त किया गया।’ एलवीएम 3, दो ठोस मोटर स्ट्रैप-ऑन, एक तरल प्रणोदक कोर चरण और एक क्रायोजेनिक चरण के साथ तीन चरणीय वाहन है, जो जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में चार टन वर्ग के उपग्रह को ले जाने में सक्षम है।
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