Japan islands: जापान ने आखिरी बार 1987 में अपने द्वीपों की गिनती की थी। तब से अब तक द्वीपों की संख्या में दोगुने से भी ज्यादा का अंतर आ गया है। वर्तमान में जापान में 6,852 द्वीप हैं। जिनमें केवल 260 लोग ही रहते हैं। अब इसमें 7 हजार से ज्यादा द्वीप जुड़ेंगे। यानी जापान के द्वीपों की आधिकारिक सूची में कुल 14,125 द्वीप होगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि उसके पास इतने द्वीप थे तो पहले उनकी गिनती क्यों नहीं की गई। 3.70 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले इन द्वीपों को गिनने और जोड़ने में कई बार दिक्कत होती है। कभी-कभी वे बेमेल हो जाते हैं। कई बार छूट जाते हैं। कभी-कभी गलत पहचान मिल जाती है। इसलिए इन द्वीपों को छोड़ दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जो भूमि चारों ओर से समुद्र के जल से घिरी हो तथा हाईटाइड के समय भूमि समुद्र में डूब जाते हो उसे द्वीप कहते हैं। लेकिन द्वीपों को खोजना और उन्हें द्वीप घोषित करना कोई आसान काम नहीं है। इसमें काफी मेहनत और संसाधन लगते हैं।
जापानी द्वीप प्रशांत महासागर में रिंग ऑफ फायर का हिस्सा हैं। ये सभी भूवैज्ञानिक और भूगर्भीय रूप से सक्रिय हैं जहां भूकंप आने का खतरा बना रहता है। इसलिए यहां कई बार होने वाली ज्वालामुखीय गतिविधियों के कारण कई द्वीप समुद्र से निकल आते हैं और डूबते चले जाते हैं। इसलिए इसके द्वीपों की गिनती करना और भी मुश्किल हो जाता है।
जापानी कोस्ट गार्ड ने 2013 में एक छोटे से द्वीप की खोज की थी। इसका नाम इसानाबे हनाकिता कोजिमा था। यह 4.6 फीट ऊंचा था। लेकिन कुछ ही दिनों में यह वापस समुद्र में समा गया। इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता, द्वीप समुद्र में ऊपर-नीचे होते रहते हैं। साल 2021 के संसदीय सत्र में जापान सरकार ने आधुनिक डिजिटल मैपिंग तकनीक की शुरुआत की। उसके बाद जापान के द्वीपों की फिर से गणना की गई। किसी भी देश को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अपने द्वीपों की सही संख्या और स्थान का पता होना बहुत जरूरी है।
भू-स्थानिक सूचना प्राधिकरण (जीएसआई) ने हवाई तस्वीरों, पुराने नक्शों और अन्य आंकड़ों की मदद से पता लगाया कि जापान के आसपास कुल 14,125 द्वीप हैं। जो इसकी सीमा में आते हैं। कंप्यूटर सर्वे में 1 लाख से ज्यादा द्वीप दिखाए गए थे। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, 100 मीटर या उससे अधिक की लंबाई वाली भूमि का टुकड़ा ही एक द्वीप के रूप में माना जाएगा। आखिरी नंबर कुछ दिनों बाद फाइनल होगा। इसके बाद नई सूची पर आधिकारिक मुहर लग जाएगी। जीएसआई ने कहा है कि इस नई सूची से जापान की सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा। न ही इसकी समुद्री सीमाओं में कोई अंतर है।
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