- दो और मोर्चों पर बढ़ सकती है सीएम की मुश्किलें
इंडिया न्यूज, Ranchi News। Jharkhand CM Hemant Soren : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी पर आयोग्यता के खतरे के बीच राज्य सरकार में सेंधमारी का डर हो गया है। इसके चलते सत्ताधारी गठबंधन के विधायकों को झारखंड से बाहर शिफ्ट कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार उन्हें पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में शिफ्ट किया जा सकता है।
महागठबंधन के विधायकों की बैठक के बाद लिया निर्णय
सीएम हेमंत सोरेन के आवास पर शनिवार को हुई महागठबंधन के विधायकों की बैठक के बाद विधायकों दो बसों से दूसरी जगह ले जाया गया। बता दें कि इससे पहले विधायकों को अपने साथ सामान लाने को कहा गया था। उधर दो बसों के झारखंड से रवाना होने के बाद छत्तीसगढ़ की रायपुर स्थित एक होटल की सुरक्षा बढ़ा दिए जाने की सूचना मिली।
रायपुर किया जा सकता है शिफ्ट
मिली जानकारी अनुसार, होटल के कमरे भी बुक किए जा रहे थे। माना जा रहा है कि रविवार सुबह इन विधायकों को रायपुर शिफ्ट किया जा सकता है। इस बीच झारखंड में विधायकों की सेंधमारी के डर से कांग्रेस ने शनिवार शाम विधायकों के साथ बैठक की।
कुल 81 विधानसभा सीटों में से 49 विधायक सोरेन के साथ
बता दें कि झारखंड की विधानसभा में कुल 81 सीटें हैं। इसमें सोरेन के साथ 49 विधायक हैं। इनमें से 30 विधायक झामुमो, 18 कांग्रेस और एक विधायक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से है। विपक्षी दल बीजेपी के पास सदन में 26 विधायक है। सत्तारूढ़ गठबंधन का दावा है कि सरकार पर कोई खतरा नहीं है।
विधायकी पर अयोग्य ठहराए जाने का डर
उधर बताया जा रहा है कि राज्यपाल रमेश बैस राज्य में तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच जल्द सीएम सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराने के निर्वाचन आयोग के विचार पर फैसला ले सकते हैं। इस तरह सोरेन की विधायकी कभी भी जा सकती है।
चुनाव आयोग ने सदस्यता रद करने को राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद करने के मामले में राज्यपाल को रिपोर्ट दी है। अयोग्ता की तलवार लटकने के साथ ही हेमंत सोरेन की तीन और मोर्चों पर उनकी मुश्किल बढ़ सकती है। खनन पट्टे से जुड़े मामले के अलावा कोर्ट में भी सोरेन के खिलाफ एक जनहित याचिका लगी हुई है।
सोरेन पर खदान लीज मामले में सीबीआई जांच की मांग
झारखंड हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में सोरेन पर खदान लीज लेने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की गई है। वहीं, एक अन्य याचिका में हेमंत सोरेन, भाई बसंत सोरेन और उनके करीबियों द्वारा शेल कंपनियां चलाने की भी सीबीआई जांच की मांग की गई है। इस मामले में सोरेन सुप्रीम कोर्ट गए हैं।
सोरेन ने की थी सुनवाई पर रोक लगाने की मांग
सोरेन ने जनहित याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को सोरेन को थोड़ी राहत दी। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा और तब तक हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी।
हेमंत सोरेन पर ये हैं आरोप…
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रघुबर दास ने इसी साल 12 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई दस्तावेज जारी कर दावा किया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग किया है। रघुबर दास ने आरोप लगाया कि सोरेन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पिछले साल रांची में अपने नाम पर पत्थर उत्खनन पट्टे के लिए स्वीकृति प्राप्त की।
पट्टे को मंजूरी देने वाले खनन विभाग के दस्तावेज दिखाते हुए रघुबर दास ने सोरेने पर जनप्रतिनिधित्व कानून की धाराओं के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।
राज्यपाल ने मामले की जांच कराई और फिर चुनाव आयोग से रिपोर्ट मांगी। करीब दो महीने चली कार्रवाई के बाद चुनाव आयोग ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट दे दी, रिपोर्टों के अनुसार जिसमें सोरेन की विधायकी रद करने की सलाह दी गई है।
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