उत्तराखंड। Joshimath Land Sinking: जोशीमठ में जमीन के हो रहे धंसाव के बाद सैंकड़ो लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ रहा है। उनलोगों के लिए ये काफी भावुक पल हैं। दशकों तक जो छत हर दुख- सुख में परिवार का सहारा बना, आज लोग उसे छोड़ने को मजबूर हो रहें हैं।

एक परिवार ने घर छोड़ने के सवाल पर कहा कि उन्होंने अपनी तीन बेटियों को इस घर से विदा किया, अब मै इसे छोड़ने को मजबूर हूं।

उनकी एक बेटी ने भावुक होते हुए कहा कि बड़ी मेहनत से एक-एक ईंट जोड़ हमलोगों ने इसे तैयार किया। अब इसे छोड़ने के वक्त भावुक महसूस कर रहा हूं। लेकिन इन सबके बीच जो सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर ये स्थिति अचानक से कैसे उत्पन्न हुई।

प्राकृतिक आपदा या सरकारी अनदेखी?

अब तक इसको लेकर कई बातें सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कहा जा रहा है कि जोशीमठ को लेकर कई सर्वे की जा चुकी है, ऐसा ही एक सर्वेक्षण 2006 की किया गया था जिसमें कहा गया कि जोशीमठ के कुछ हिस्से हर एक साल 1 सेंटीमीटर धंस रहें हैं।

रिपोर्ट में इसकी मुख्य वजह वहां की जलनिकासी व्यवस्था बताई गई। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने और नाले, नालियों पर अतिक्रमण से भारी मात्रा में पानी जमीन के भीतर समा है। जिसके बाद जमीन के अंदर नमी आने के बाद कई तरह की प्राकृतिक प्रतिक्रियाएं हुई।

इसके अलावा वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा, वर्ष 2021 की रैणी आपदा और बदरीनाथ क्षेत्र के पांडुकेश्वर में बादल फटने की घटनाएं भी भू-धंसाव के लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं।