Karnataka: संपत्ति विवाद में आत्महत्या के लिए उकसाने वाला मामला हाईकोर्ट में खारिज, दलीलें सुन चौंक गया कोर्ट भी

India News (इंडिया न्यूज़), Karnataka, रिपोर्ट-आशीष सिन्हा: संपत्ति विवाद में धमकी देकर अपने भतीजे को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी दंपति के खिलाफ अभियोजन को कर्नाटक (Karnataka) उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने इस बात पर जोर दिया कि “मृत्यु के करीब होना एक गतिशील कार्य होना चाहिए, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष। यह मृत्यु की निकटतम घटना होनी चाहिए और यह इस प्रकार की उत्तेजना होनी चाहिए कि यह किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करे।”

  • गाली -गलौज से शरु हुआ मामला
  • जरूरी तत्व मामलें में नही
  • 2021 का पूरा वाकया

याचिकाकर्ता, जो अपने भतीजे के साथ (Karnataka) संपत्ति विवाद में शामिल थे, उसने उनके खिलाफ आरोप पत्र को रद्द करने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की। भतीजे ने नवंबर 2021 में आत्महत्या कर ली थी और एक डेथ नोट छोड़कर याचिकाकर्ताओं पर अक्टूबर 2021 में बैंगलोर में बीबीएमपी कार्यालय के पास उसे घेरने और उसके माता-पिता के जीवन को नष्ट करने की धमकी देने का आरोप लगाया था।

आवश्यक तत्व मामले में नहीं

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध के लिए आवश्यक तत्व मामले में मौजूद नहीं थे। उन्होंने बताया कि कथित डेथ नोट में अक्टूबर 2021 की एक घटना का जिक्र है, जबकि आत्महत्या 23 नवंबर, 2021 को हुई, जिसमें उन्हें जिम्मेदार ठहराने के लिए निकटता का अभाव था। शिकायतकर्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह मुकदमे के दौरान तय किया जाने वाला मामला है।

उपस्थिति आवश्यक

अदालत ने माना कि धारा 306 के तहत अपराध स्थापित करने के लिए उकसाना महत्वपूर्ण है। इसमें कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करता है या प्रोत्साहित करता है, तो यह कृत्य आत्महत्या के लिए उकसाने के रूप में दंडनीय होगा। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि धारा 306 के तहत अपराध साबित करने के लिए आईपीसी की धारा 107 में उल्लिखित तत्वों की उपस्थिति आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया

अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों का हवाला दिया और इस बात पर जोर दिया कि उकसाने के लिए किसी व्यक्ति को किसी निश्चित कार्य में उकसाने या जानबूझकर सहायता करने की एक जानबूझकर मानसिक प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। ऐसा न होने पर दोषसिद्धि के ऐसे मामलों को कायम नहीं रखा जा सकता। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा कथित उकसावे और आत्महत्या के बीच कोई निकटता नहीं थी।

गाली-गलौज से शुरू हुआ मामला

अक्टूबर 2021 के महीने में याचिकाकर्ताओं ने गाली-गलौज की थी और शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए थे और इसलिए, बेटे ने 23-11-201 को आत्महत्या कर ली। यह ऐसा उकसावा नहीं हो सकता जो शिकायतकर्ता के बेटे को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करे।

यह भी पढ़े-

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

Share
Published by
Roshan Kumar

Recent Posts

क्या आपको भी अंदर जकड़ लेता है कोल्ड और कफ, तो अपना लें घरेलू ये नुस्खे, अंदर जमी बलगम को खुरच कर करेगा बाहर!

Cold and Cough: बदलते मौसम में सर्दी-खांसी की समस्या आम है। इसमें गले में खराश…

44 minutes ago